बिहार में पिछले छह साल से काम कर रहा हूं. एक साथ एक अनुमंडल के दो बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी एक साथ होती नहीं देखी थी, लेकिन 27 अक्तूबर 2016 को सीमावर्ती जयनगर के एसडीओ गुलाम मुस्तफा व डीएसपी चंदनपुरी को निगरानी की टीम ने एक साथ गिरफ्तार कर लिया. दोनों पर अवैध पटाखों को रखने की एवज में रिश्वत लेने का आरोप लगा. आरोप लगानेवाला जयनगर का ही ट्रांसपोर्टर है. दोनों अधिकारियों के पीछे ट्रांसपोर्टर क्यों पड़ा और उसने निगरानी का सहारा कैसे लिया? इसके बारे में जो जानकारी सामने आयी है, जिसकी चर्चा जयनगर के बाजार में हो रही है, उसके मुताबिक लगभग 20 दिन पहले जब जिले के एसपी को पटाखा लदा ट्रक जयनगर आने की सूचना मिली थी, तो जयनगर पुलिस ने ट्रांसपोर्टर के यहां छापेमारी की थी. इसके बाद एसपी के निर्देश पर शाम के समय एसडीओ व डीएसपी भी ट्रांसपोर्टर के यहां पहुंचे थे. इसके बाद ही मामले के सेलेटमेंट की बात हुई थी, जो चर्चा है, उसके मुताबिक दो लाख में मामला तय हुआ था.
रिश्वत की रकम तय होने के बाद ट्रांसपोर्टर के यहां काजू-किसमिस व मिठाई मिलने की बात कही गयी. इसके बाद ट्रांसपोर्टर की बारी थी, उसे दोनों अधिकारियों के यहां रिश्वत की रकम पहुंचानी थी, लेकिन किन्ही कारणों ने उसने रुपये नहीं पहुंचाये. इसी दौरान एक अधिकारी ने बिचौलिये के जरिये ट्रांसपोर्टर को अपने आवास पर बुलाया था और रुपयों के लिए दबाव बनाया. ट्रांसपोर्टर के जवाब से खफा अधिकारी ने उसको थप्पड़ जड़ दिया. बिचौलिये के सामने थप्पड़ खाने से ट्रांसपोर्टर तिलमिला गया और उसने सबक सिखाने की ठानी.
ट्रांसपोर्टर ने निगरानी टीम से संपर्क साधा, तो पहले मामले की सच्चई का पता लगाया गया. पुष्टि होने के बाद दोनों को रंगेहाथ गिरफ्तार करने की रणनीति बनायी गयी. इसी के तहत ट्रांसपोर्टर व उसके भाई को दोनों अधिकारियों के यहां रिश्वत की रकम लेकर भेजा गया, जिन्हें निगरानी की टीम ने रंगेहाथ दबोच लिया, जिस समय एसडीओ को पकड़ा गया, वो अपने आवास पर चाय पी रहे थे, जबकि डीएसपी पत्नी व बच्चे के साथ आवास के बाहर लॉन में बैठे थे. इसी दौरान वहां के चेंबर के सचिव पवन को भी गिरफ्तार किया गया. पवन पर बिचौलिये के रूप में काम करने का आरोप है.
Nigrani walon se bhrasht ab koi nahi. Transporter se nigrani wale he paisa kha gaye. Ab inko kaun pakdega? Awaidh patakha wale vyapari par abhi bhi kanooni karyawahi honi due hai. Kab hogi?
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