रविवार को छुट्टी के दिन जब गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन में पड़ोसी देश पाकिस्तान को आतंकवाद से बाज आने की नसीहत दे रहे थे, लगभग उसी समय बिहार के राजगीर में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आधिकारिक तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम सौप रही थी. हालांकि इस पद पर नीतीश कुमार अब भी हैं, लेकिन ये कार्यकारिणी इसलिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि शराबबंदी पर चल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अभियान के बीच इसे बुलाया गया है.
बैठक के दौरान 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा हुई और अब पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर 2019 में उतारने का फैसला कर लिया है. इसके लिए मुद्दा शराबबंदी को बनाया जायेगा. शराबबंदी के सहारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो साल बाद होनेवाले चुनाव में चुनौती देते नजर आयेंगे. इसके लिए जदयू की ओर से एक राष्ट्रीय गंठबंधन की परिकल्पना की गयी है, जिसकी बागडोर नीतीश कुमार के हाथों में होगी. इसे बनाने की जिम्मेवारी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही सौंपी गयी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर सामने आयेंगे. इसकी बात अरसे से होती रही है, लेकिन अब वो खुल कर सामने आ गये हैं. पार्टी अध्यक्ष के रूप में फिर से ताजपोशी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किस तरह से आगे बढ़ते हैं और आनेवाले महीनों में सात निश्चय को लेकर कैसे प्रदेश में काम होता है, ये भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस समय प्रदेश में विकास के कामों में शिथिलता की बात लगातार हो रही है. कहा जा रहा है कि विकास के काम पहले जैसे पटरी पर थे. अब उनकी स्पीड पर ब्रेक लगा है. इसके लिए लोग गंठबंधन में बदलाव का भी सवाल उठा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने फिर से पूरे प्रदेश के दौरे की योजना बनायी है, जिसमें सात निश्चयों पर बात होगी. ऐसे में इससे क्या निकलता है और अपनी इमेज को राष्ट्रीय बनाने के लिए वो किस तरह से आगे बढ़ते हैं, ये देखना भी दिलचस्प होगा.
बैठक के दौरान 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव की तैयारी पर चर्चा हुई और अब पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर 2019 में उतारने का फैसला कर लिया है. इसके लिए मुद्दा शराबबंदी को बनाया जायेगा. शराबबंदी के सहारे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो साल बाद होनेवाले चुनाव में चुनौती देते नजर आयेंगे. इसके लिए जदयू की ओर से एक राष्ट्रीय गंठबंधन की परिकल्पना की गयी है, जिसकी बागडोर नीतीश कुमार के हाथों में होगी. इसे बनाने की जिम्मेवारी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही सौंपी गयी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर सामने आयेंगे. इसकी बात अरसे से होती रही है, लेकिन अब वो खुल कर सामने आ गये हैं. पार्टी अध्यक्ष के रूप में फिर से ताजपोशी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किस तरह से आगे बढ़ते हैं और आनेवाले महीनों में सात निश्चय को लेकर कैसे प्रदेश में काम होता है, ये भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस समय प्रदेश में विकास के कामों में शिथिलता की बात लगातार हो रही है. कहा जा रहा है कि विकास के काम पहले जैसे पटरी पर थे. अब उनकी स्पीड पर ब्रेक लगा है. इसके लिए लोग गंठबंधन में बदलाव का भी सवाल उठा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने फिर से पूरे प्रदेश के दौरे की योजना बनायी है, जिसमें सात निश्चयों पर बात होगी. ऐसे में इससे क्या निकलता है और अपनी इमेज को राष्ट्रीय बनाने के लिए वो किस तरह से आगे बढ़ते हैं, ये देखना भी दिलचस्प होगा.
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