मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

चुनाव यात्रा-5- मोतिहारी, चाय दुकान और चुनाव चर्चा

चुनाव के दौरान ही दुर्गा पूजा और दशहरा त्योहार था. छुट्टी के बाद भी हम चुनाव यात्रा पर थे और गंतव्य था, राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण नवमी की शाम में हम मोतिहारी पहुंच चुके थे. सड़कों और पंडालों में मानो पूरा शहर उमड़ पड़ा था. देर-रात तक गहमा-गहमी जारी थी. पंडालों में नेताओं के चाहनेवाले सक्रिय थे, जो वहां आनेवाले श्रद्धालुओं को वोट बैंक के रूप में देख रहे थे. सेवा कर रहे थे. ये ध्यान रख रहे थे कि सबको प्रसाद मिले और सब पंडित जी से आशीर्वाद ले लें और जब लोग पंडाल के बाहर निकलते थे, तो हाथ जोड़ कर अभिभावदन जरूर करते थे. इसके आगे, तो वोटर अपने समझदार हैं ही. एक-दो स्थानों पर हम लोगों को ही ऐसा ही अनुभवन मिला.
एक स्थान पर तो लोग जान कर गये कि हम पत्रकार हैं, तो वह पीछे हो लिये कि किसी तरह की समस्या नहीं हो. सब ठीक से देख लें. बार-बार मना करने के बाद भी ये कह कर जाने को तैयार नहीं थे कि मेरा सौभाग्य है कि आप लोग मेरे शहर में आये हैं. खैर कुछ देर लगी, लेकिन उन लोगों को हम लोगों ने वापस जाने को राजी कर लिया और अपने साथियों से भी ये कहते हुये विदा ली कि सुबह जल्दी उठ कर शहर का माहौल देखना है. अखबार में देर रात तक काम होता है, सो सुबह देख से उठने की आदत है, लेकिन मोतिहारी शहर का चुनावी माहौल देखने के लिए सुबह पांच बजे ही उठ गया. जल्दी से तैयार होकर हम सड़क पर थे. हमारे होटल के पास ही वो चाय की दुकान थी, जहां पर चुनावी चर्चा सुबह के समय होती थी.
सुबह की सैर से लौटते हुये हम चाय की दुकान पर रुके थे. इसी बीच आसपास लोगों का जमावड़ा शुरू हो गया. सुबह के लगभग सवा छह बजे होंगे. चाय पर चर्चा को जुटे लोग एक दिन पहले नवमी की गहमा-गहमी की समीक्षा और नेताओं के भाषणों पर चर्चा कर रहे थे. इस समय तक राहुल गांधी की चंपारण में सभा हो चुकी थी, जिसमें खास भीड़ नहीं उमड़ी थी. अरेराज की सभा थी वह, जहां बमुश्किल दो-तीन हजार लोग रहे होंगे. अपने रटे-रटाये 15 मिनट के भाषण के बाद जब राहुल गांधी ने सभी प्रत्याशियों से मंच पर आने को कहा, तो केवल एक ही प्रत्याशी पहुंचा, क्योंकि वह भी उनके दल का, जो स्थानीय प्रत्याशी था. इसके अलावा अन्य प्रत्याशी सभा में पहुंचे ही नहीं थे. बाद में एक और प्रत्याशी के आने की चर्चा हुई थी. इसी के साथ सभा समन्न हो गयी थी. चाय की दुकान पर उसकी चर्चा हो रही थी.
चर्चा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर फोकस था. स्थानीय समस्याओं को भी लोग तरजीह दे रहे थे, लेकिन इनकी चर्चा का कोई राजनीतिक मायने मेरी समझ से निकलना ठीक नहीं था, क्योंकि इनमें से ज्यादातर किसी न किसी दल से जुड़े थे. जारी..

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