सोमवार, 24 अक्टूबर 2016

चमेला कुटीर-3- इस आंदोलन का कुछ नहीं होगा

बात 2011-12 की है, जब दिल्ली में अन्ना के जनलोकपाल बिल आंदोलन का जोर था. पूरा देश उसी के रंग में रंगा नजर आ रहा था. जंतर-मंतर नया इतिहास लिखने को तैयार था. वहां से नये प्रतिमान निकल रहे थे. लोग सोच रहे थे कि देश में बड़ा बदलाव होगा और जनलोकपाल बिल भ्रष्टाचार को खत्म कर देनेवाला साबित होगा और देश नयी राह पर चल पड़ेगा, जो वर्तमान से बिल्कुल अलग होगा. इस बीच के दो प्रसंग याद आते हैं, एक पटना में एक रिटायर्ड अधिकारी है, जो कई राज्यों में बड़े पद पर रह चुके हैं और फिर राजनीति में हाथ आजमाया और वहां भी सफल हुये.
दिल्ली में अन्ना के आंदोलन का जोर चल रहा था. वो अधिकारी अपने केबिन में बैठ कर टीवी देखते हुये विश्लेषण कर रहे थे कि इसका कुछ नहीं होना है, क्योंकि मैं व्यवस्था का हिस्सा रहा हूं दशकों तक. वो कहने लगे कि अभी जिस समय यह आंदोलन चल रहा है. उसी समय सही और गलत दोनों काम चल रहे होंगे. जो जिम्मेवार लोग यह काम कर रहे होंगे, वो अपने किये को पूरी तरह से कानूनी साबित कर सकते हैं, चाहे सही हो या गलत.
दूसरा प्रसंग चमेला कुटीर का है. आंदोलन के दौरान ही सच्चिदा बाबू से मिलना हुआ. अनायास ही मेरे मुंह से सवाल निकल पड़ा. अन्ना आंदोलन का क्या होगा? बहुत जोर है, पूरे देश में, तब सच्चिदा बाबू ने भी कहा था कि इस आंदोलन का कुछ होनेवाला नहीं है. कुछ दिन में यह अपने आप शांत हो जायेगा और जो लोग अभी इसके साथ दिख रहे हैं, वो अपने काम में लग जायेंगे. तब दोनों प्रसंग सुनने में अटपटे लग रहे थे, लेकिन आनेवाले सालों में क्या हुआ. ये सबके सामने है.
सच्चिदा बाबू ने अपनी बात के साथ ठोस वजह भी बतायी. कहने लगे कि अन्ना के आंदोलन के साथ देश की जनता पूरी तरह से नहीं है, क्योंकि वह जानती नहीं है कि आखिर अन्ना का उद्देश्य क्या है. अगर आंदोलन चलाना ही था, तो अन्ना को पहले देश के लोगों को तैयार करना चाहिये थे. उनके बीच जाना चाहिये था और लोगों के मन को बदलना चाहिये था. इसके लिए उन्हें सालों का समय लगेगा, लोगों के बीच जाने और बात करने में. जब जनमत तैयार हो जाये, तो आप आंदोलन करिये, वो सफल होगा, केवल दिल्ली में कुछ हजार और लाख लोगों के जुटने से कुछ नहीं होगा. अपना देश बहुत बड़ा और विविधता भरा है.
सच्चिदा बाबू ने आजादी की लड़ाई के दौरान सत्य और अंहिसा के बल पर देश में जनमत को तैयार करनेवाले राष्ट्रपिता महत्मा गांधी का हवाला भी दिया. गांधी जी वह आंदोलनों के पहले किस तरह से पूरे देश की यात्र करते थे. लोगों को अपने उद्देश्य के बारे में बताते थे, तब गांधी जी के एक आह्वान पर करोड़ों लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते थे. अन्ना आंदोलन किस तरह से आगे बढ़ा और उसका क्या हश्र हुआ, इसके बारे में यहां ज्यादा चर्चा नहीं, लेकिन सच्चिदा बाबू की सोच उस समय ही बिल्कुल स्पष्ट थी कि क्या होनेवाला है.
जारी..

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