रोज की तरह मैं शाम के दफ्तर में आकर बैठा था. इसी बीच सूचना अयी कि एक छात्र आपसे मिलना चाहता है. मैंने अन्य लोगों की तरह उसे भी बुला लिया, कुछ ही क्षणों में वह मेरे सामने था. वह सामने आते ही रोने लगा. मैंने इससे पहले उसे कभी नहीं देखा था. ऐसे में मुङो लगा कि मैंने क्या कर दिया, जो वह इस तरह से रो रहा है. कुछ देर रोने के बाद बाद उसने सांसों पर काबू करने की कोशिश् की और सिसकियां लेते हुये बोला, सर, मेरे गांव में आप बिजली लगवा दीजिये. बस हम और कुछ नहीं चाहते हैं. हम दौड़ते-दौड़ते थक चुके हैं. हम सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर इलाके के रैन शंकर और रैन विष्णु के रहनेवाले हैं. हमारा गांव अब भी ढिबरी के युग में जी रहा है. हम लोगों को पढ़ाई में बड़ी समस्या होती है.
छात्र जब कुछ शांत हुआ, तो हमने बैठने के लिए कहा और तफसील से पूरी बात बताने को कहा, साथ ही अपनी सीमा भी बतायी कि हम आपकी समस्या को अखबार में छाप सकते हैं और कुछ नहीं कर पायेंगे. इस पर उसने कहा कि आप बस इस खबर को लोगों तक पहुंचा दें, मेरा नाम दें या नहीं, लेकिन आपके जरिये हमारी समस्या समाज के सामने आ जायेगी, तो हो सकता है कि बिजली विभाग के अधिकारी भी देखें और वो हमारे गांव में बिजली लगाने की दिशा में काम करें. इसके बाद उक्त छात्र ने बिजली के लिए अपने संघर्ष की पूरी कहानी बतायी कि वह किस तरह से लगातार अपने गांव में बिजली लाने के लिए संघर्ष कर रहा है. कितनी बार सीतामढ़ी में बिजली विभाग के अधिकारियों के यहां चक्कर लगा चुका है, लेकिन आश्वासन के अलावा उसे कुछ नहीं मिला.
उक्त छात्र से बात करते हुये मुङो तिरहुत कमिश्नर की वो टिप्पणी याद आयी, जो उन्होंने अपने सरकारी ब्लॉग पर रुन्नीसैदपुर इलाके का दौरा करने के बाद लिखी थी, जिसमें उन्होंने वहां बह कर आनेवाले चीनी मिल के काले पानी की समस्या का जिक्र किया था. वहां की स्थिति तरह से भयावह है, इसकी बात की थी. इसके बाद में जब हमने छात्र से पूछा, तो उसका कहना था कि हम उसी इलाके के रहनेवाले हैं. हम लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है.
खैर, छात्र की बात सुनने के बाद खुद को रोक नहीं सका, उससे ही नंबर लेकर गांव के मुखिया से बात की, तो वह भी कहने लगे कि हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा है. हमारी पंचायत को बिजली चाहिये. यह कैसे होगा, समझमें नहीं आ रहा है. गांव के मुखिया ने भी छात्र के बिजली के लिए संघर्ष की बात बतायी और कहा कि वो बीएड करके किसी निजी स्कूल में काम कर रहा है. मुजफ्फरपुर में रहता है, लेकिन गांव में बिजली को लेकर सजग है, क्योंकि वह चाहता है कि गांव में रोशनी रहेगी, तो बच्चे पढ़ लेगें, उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पाड़ेगा. इससे हमारा भविष्य भी उज्जवल होगा. अब जब हर घर-बिजली और पानी की बात सात निश्चय में हो रही है, तो मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या रैन शंकर में बिजली आ जायेगी?
छात्र जब कुछ शांत हुआ, तो हमने बैठने के लिए कहा और तफसील से पूरी बात बताने को कहा, साथ ही अपनी सीमा भी बतायी कि हम आपकी समस्या को अखबार में छाप सकते हैं और कुछ नहीं कर पायेंगे. इस पर उसने कहा कि आप बस इस खबर को लोगों तक पहुंचा दें, मेरा नाम दें या नहीं, लेकिन आपके जरिये हमारी समस्या समाज के सामने आ जायेगी, तो हो सकता है कि बिजली विभाग के अधिकारी भी देखें और वो हमारे गांव में बिजली लगाने की दिशा में काम करें. इसके बाद उक्त छात्र ने बिजली के लिए अपने संघर्ष की पूरी कहानी बतायी कि वह किस तरह से लगातार अपने गांव में बिजली लाने के लिए संघर्ष कर रहा है. कितनी बार सीतामढ़ी में बिजली विभाग के अधिकारियों के यहां चक्कर लगा चुका है, लेकिन आश्वासन के अलावा उसे कुछ नहीं मिला.
उक्त छात्र से बात करते हुये मुङो तिरहुत कमिश्नर की वो टिप्पणी याद आयी, जो उन्होंने अपने सरकारी ब्लॉग पर रुन्नीसैदपुर इलाके का दौरा करने के बाद लिखी थी, जिसमें उन्होंने वहां बह कर आनेवाले चीनी मिल के काले पानी की समस्या का जिक्र किया था. वहां की स्थिति तरह से भयावह है, इसकी बात की थी. इसके बाद में जब हमने छात्र से पूछा, तो उसका कहना था कि हम उसी इलाके के रहनेवाले हैं. हम लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है.
खैर, छात्र की बात सुनने के बाद खुद को रोक नहीं सका, उससे ही नंबर लेकर गांव के मुखिया से बात की, तो वह भी कहने लगे कि हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हो पा रहा है. हमारी पंचायत को बिजली चाहिये. यह कैसे होगा, समझमें नहीं आ रहा है. गांव के मुखिया ने भी छात्र के बिजली के लिए संघर्ष की बात बतायी और कहा कि वो बीएड करके किसी निजी स्कूल में काम कर रहा है. मुजफ्फरपुर में रहता है, लेकिन गांव में बिजली को लेकर सजग है, क्योंकि वह चाहता है कि गांव में रोशनी रहेगी, तो बच्चे पढ़ लेगें, उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पाड़ेगा. इससे हमारा भविष्य भी उज्जवल होगा. अब जब हर घर-बिजली और पानी की बात सात निश्चय में हो रही है, तो मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या रैन शंकर में बिजली आ जायेगी?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें