भारत की ओर से किये गये सजिर्कल स्ट्राइक को लेकर सरकार पर अविश्वास जताना और उससे सबूत मांगने की बात ऐसे हालात में क्या उचित है, जो अभी भारत-पाकिस्तान के बीच बने हुये हैं. उन बड़बोले नेताओं को इसके बारे में समझना चाहिये, देश क्या चाहता है. यहां के लोग क्या चाहते हैं, आखिर ये देश का सवाल है.
गांव में एक कहावत है, जिस पत्तल में खाना, उसी में छेद करना. क्या हमारे देश के कुछ माननीयों के लिए उचित है. भारत सरकार अगर कह रही है, कार्रवाई हुई है, तो भारतीय होने के नाते हमें उस पर विश्वास करना चाहिये. इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्टैंड शुरू से साफ रहा है. उन्होंने पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि भले ही केंद्र सरकार के साथ उनके मतभेद हों, लेकिन देश के सवाल पर वह सरकार के साथ हैं और वो लगातार इस बात को दोहराते आ रहे हैं, लेकिन कुछ नेता ऐसे हैं, जो सरकार पर ही सवाल उठा रहे हैं. ऐसा करके वो क्या कहना चाह रहे हैं. अपने देश की सरकार पर सवाल उठा कर क्या वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का पक्ष मजबूत करने का काम नहीं कर रहे हैं. इस पर विचार की जरूरत है.
एक शहरी होने के नाते भले ही हमे जानने का अधिकार है कि क्या हो रहा है, लेकिन किस परिस्थिति में हम ये जानने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बारे में भी समझना होगा. भारत-पाकिस्तान पड़ोसी हैं. अब से कुछ दशकों पहले एक ही थे, लेकिन बंटवारे के बाद से स्थितियां अलग हो गयीं. हमें जमीनी हकीकत को समझ कर उस पर आगे बढ़ना चाहिये. सोशल साइट्स पर इसको लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन मेरा भी प्रख्यात अभिनेता नाना पाटकर की तरह यही मानना है कि देश सवरेपरि है. उसके बाद ही कुछ और आता है. कौन क्या कह रहा है, अभी इस पर ध्यान नहीं देना चाहिये. शायद सरकार यही कर रही है. जय हिन्द!
गांव में एक कहावत है, जिस पत्तल में खाना, उसी में छेद करना. क्या हमारे देश के कुछ माननीयों के लिए उचित है. भारत सरकार अगर कह रही है, कार्रवाई हुई है, तो भारतीय होने के नाते हमें उस पर विश्वास करना चाहिये. इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्टैंड शुरू से साफ रहा है. उन्होंने पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि भले ही केंद्र सरकार के साथ उनके मतभेद हों, लेकिन देश के सवाल पर वह सरकार के साथ हैं और वो लगातार इस बात को दोहराते आ रहे हैं, लेकिन कुछ नेता ऐसे हैं, जो सरकार पर ही सवाल उठा रहे हैं. ऐसा करके वो क्या कहना चाह रहे हैं. अपने देश की सरकार पर सवाल उठा कर क्या वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का पक्ष मजबूत करने का काम नहीं कर रहे हैं. इस पर विचार की जरूरत है.
एक शहरी होने के नाते भले ही हमे जानने का अधिकार है कि क्या हो रहा है, लेकिन किस परिस्थिति में हम ये जानने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बारे में भी समझना होगा. भारत-पाकिस्तान पड़ोसी हैं. अब से कुछ दशकों पहले एक ही थे, लेकिन बंटवारे के बाद से स्थितियां अलग हो गयीं. हमें जमीनी हकीकत को समझ कर उस पर आगे बढ़ना चाहिये. सोशल साइट्स पर इसको लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन मेरा भी प्रख्यात अभिनेता नाना पाटकर की तरह यही मानना है कि देश सवरेपरि है. उसके बाद ही कुछ और आता है. कौन क्या कह रहा है, अभी इस पर ध्यान नहीं देना चाहिये. शायद सरकार यही कर रही है. जय हिन्द!
एकदम उचित. जहां देश की सुरक्षा का सवाल हो, वहां पर हमें ऐसी नीचता नहीं दिखानी चाहिए. अगर हर चीज़ का जवाब मांगना सही है, तो वैसे लोगों को अपने भीतर असल बाप के वीर्य होने का भी सबूत मांग लेना चाहिए
जवाब देंहटाएंएकदम उचित. जहां देश की सुरक्षा का सवाल हो, वहां पर हमें ऐसी नीचता नहीं दिखानी चाहिए. अगर हर चीज़ का जवाब मांगना सही है, तो वैसे लोगों को अपने भीतर असल बाप के वीर्य होने का भी सबूत मांग लेना चाहिए
जवाब देंहटाएंशंकर पंडित जी, मै शैलेन्द्र जी से सौ फिसदी सहमत हु. जहां देश की सुरक्षा का सवाल हो, वहां पर हमें ऐसी नीचता नहीं दिखानी चाहिए मगर उनके लीये येसा शब्द का उपयोग करना हम सब के लिए अच्छा नंही है.
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत आभार.
जवाब देंहटाएं