महासप्तमी यानी शनिवार के दिन दोपहर बाद दो बजे जब बादल उमड़-घुमड़ कर आसमान में घिरे और बारिश शुरू हुई, तो लगा कि इस बार पूजा में श्रद्धालुओं को परेशानी होगी. शनिवार रात और शुक्रवार की सुबह से लेकर दोपहर बाद तक लगातार हल्की बारिश लोगों को निराश कर रही थी, लेकिन मां ने चमत्कार किया और तीन बजे के बाद मौसम खुलने लगा, चार बजे तक धूप खिल चुकी थी.
काम के सिलसिले में शहर से बाहर था, लौटते समय रास्ते में धूप के साथ छोटी-छोटी दुकानें सजती देखीं, तो मेरे साथी ने कहा कि अब देखिये, छोटे दुकानदारों के चेहरे खिलने लगे हैं. इन्होंने बड़ी तन्मयता से तैयारी कर रखी होगी मेले के, लेकिन जिस तरह की बारिश थोड़ी देर पहले तक हो रही थी, उससे इन लोगों के चेहरे मुरझाये रहे होंगे, लेकिन मां ने इनकी सुन ली और अब इनकी तैयारी का फल मिलेगा.
शाम पांच बजे तक शहर की सड़कों पर ज्यादा भीड़ नहीं थी, लेकिन सात बजते-बजते सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा और पूरा शहर मेलामय हो गया. रंग-बिरंगी रोशनी की बीच सजी छोटी-छोटी दुकानें सुकून दिला रही थीं और बचपन की याद भी, लेकिन अब और तब में एक अंतर था. तब मेले में पेट्रोमैक्स से रोशनी की जाती थी. उसी की रोशनी के बीच देर रात तक मेला चलता था. अब तो बिजली रहती है और चीजें पहले से सरल हो गयी हैं. जय मां.
काम के सिलसिले में शहर से बाहर था, लौटते समय रास्ते में धूप के साथ छोटी-छोटी दुकानें सजती देखीं, तो मेरे साथी ने कहा कि अब देखिये, छोटे दुकानदारों के चेहरे खिलने लगे हैं. इन्होंने बड़ी तन्मयता से तैयारी कर रखी होगी मेले के, लेकिन जिस तरह की बारिश थोड़ी देर पहले तक हो रही थी, उससे इन लोगों के चेहरे मुरझाये रहे होंगे, लेकिन मां ने इनकी सुन ली और अब इनकी तैयारी का फल मिलेगा.
शाम पांच बजे तक शहर की सड़कों पर ज्यादा भीड़ नहीं थी, लेकिन सात बजते-बजते सड़कों पर जन सैलाब उमड़ पड़ा और पूरा शहर मेलामय हो गया. रंग-बिरंगी रोशनी की बीच सजी छोटी-छोटी दुकानें सुकून दिला रही थीं और बचपन की याद भी, लेकिन अब और तब में एक अंतर था. तब मेले में पेट्रोमैक्स से रोशनी की जाती थी. उसी की रोशनी के बीच देर रात तक मेला चलता था. अब तो बिजली रहती है और चीजें पहले से सरल हो गयी हैं. जय मां.
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