रविवार, 2 अक्टूबर 2016

हर हाल में रहे शराबबंदी

भारत-पाक के रिश्तों में तनाव के बीच मैं जिस राज्य बिहार में रहता हूं. वहां के लिए कोर्ट के दो महत्वपूर्ण फैसले आये. एक सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया, जिसमें सीवान के साहेब शहाबुद्दीन की जमानत रद्द हो गयी और उन्हें 20 दिन बाद फिर से जेल जाना पड़ा. इससे पहले 12 साल तक शहाबुद्दीन प्रदेश की विभिन्न जेलों में रह चुके थे. दूसरी खबर शराब बंदी कानून को रद्द करने संबंधी थी, जिस पर पटना हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया. इसको लेकर दिन भर उहाफोह की स्थिति रही. दोनों फैसले एक ही दिन 29 सितंबर को आये.
शराबबंदी के फैसले को लेकर तरह-तरह की बातें हुईं, लेकिन वस्तु स्थिति यही थी कि शराबबंदी लागू है. राज्य सरकार हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही है. शराबबंदी का नया कानून भी लागू गांधी जयंती (दो अक्तूबर) से लागू हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर संकल्पित दिखते हैं. मैं भी शराबबंदी के पक्ष में हूं. इसको लेकर जब मैंने फेसबुक पर लिखा, तो कई साथियों ने सवाल उठाये. सवाल अपनी जगह हैं, लेकिन शराबबंदी का असर देखना है, तो आपको उन गली मोहल्लों में जाना होगा, जहां जाना हम अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, जिसे हम शायद अपने समाज का हिस्सा मानने से हिचकते हैं.
मेरा सामना ऐसे लोगों से होता रहा है. पिछले छह सालों के दौरान मैं ऐसे कई मामले देखे हैं, जिनमें शराब से परिवार तबाह हो गये. पांच अप्रैल को शराबबंदी हुई, तो सबसे ज्यादा खुशी उन महिलाओं को हुई, जो शराबी पतियों की प्रताड़ना का शिकार थीं. उन्हें लगा मानो नया जीवन मिला है. ऐसी महिलाएं कहने लगीं कि अब उनके दिन बदल गये हैं. इसका असर भी उनके जीवन पर दिखने लगा. मैं जिस मोहल्ले में रहता हूं. उसके पास ही ऐसे लोगों की बस्ती हैं, जहां शराब का ज्यादा असर देखने को मिल रहा था. यहां शराबी पतियों की प्रताड़ना का शिकार महिलाएं भी हैं और ऐसी महिलाएं भी जो चोरी-छुपे शराब बेचने का काम करती थीं, लेकिन पांच अप्रैल के बाद यहां शांति दिखती है.
इसी मोहल्ले की रहनेवाली मेहरुन्निशां घरों में काम करके परिवार चालती हैं. उनका पति घरों में पेंट का काम करता है. शराब की लत की वजह से कमाई का ज्यादातर हिस्सा उसी में लगा देता था, जब काम नहीं मिलता, तो पत्नी से शराब के पैसे मांगता, नहीं देने पर मारपीट भी होती. तीन बच्चों की मां मेहरुन्निशां कई बार मायके भाग कर अपने जान बचाती थी, लेकिन उसके पति की आदत में सुधार नहीं हो रहा था. शराबबंदी लागू होने के बाद मेहरुन्निशां के दिन बहुर गये. अब उसका पति जो कमा कर लाता, उसका ज्यादातर हिस्सा उसे देता और दोनों ने मिल कर कुछ महीने में ही जमीन खरीद कर घर बनाने का फैसला कर लिया. जमीन खरीद ली. इसी बीच हाइकोर्ट का फैसला आया, तो मेहरुन्निशां की चिंता बढ़ गयी, उसे लगा कि पुराने दिन फिर लौट आयेंगे, लेकिन जब पूरी जानकारी मिली, तो उसने चैन की सांस ली. कहने लगी कि सरकार को किसी भी सूरत में शराबबंदी को लागू रखना चाहिये, नहीं तो हमारे जैसे लोगों का घर ही उजड़ जायेगा.

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