मिथिला का एक परिवार, जिसमें दादा, पिता और बेटा, तीन जनरेशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति हुए. लेट डॉ गंगानाथ झा, डॉ अमरनाथ झा और डॉ आदित्यनाथ झा. गंगानाथ झा की कहानी है कि जब वह कुलपति हुए, तो ज्वाइन करने के बाद अपने गांव मां को प्रणाम करने गये. बहुत भीड़ थी. मां को प्रणाम किया, तो मां ने पूछा- किं भेलों बच्च. मां को कैसे कहते. फिर भी कहे- वाइसचांसलर. मां ने कहा- मास्टर कहया ऐब. मास्टर का कितना स्टेटस था कि वो अपने बेटे से कह रहीं हैं कि आप मास्टर कब होइएगा? आप शिक्षक कब होइएगा? वो वाइसचांसलर का अर्थ नहीं समझ रहीं थीं, अपने बेटे से कह रहीं थी कि आप मास्टर कब होइएगा? आज भी यह तीनों नाम लीजेंड हैं. डॉ आदित्यनाथ झा, आइसीएस के बाद जब रिटायर कर रहे थे, तब जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें बुलाया. कहा कि तुम तो अब रिटायर करोगे. बताओ, तुम्हारी कुछ इच्छा है, तो उन्होंने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कुलपति बना दिया जाता. तब नेहरू ने कहा कि यह कौन-सी बड़ी बात है. तुम कुछ और कहो. उन्होंने कहा कि नहीं, यही मेरी अंतिम इच्छा है. मेरे पिता जी. मेरे दादाजी वाइसचांसलर रहे हैं. हम भी रहेंगे.
हर एक मैथिल और बिहारी के लिए ये गर्व की बात है. जिस यूनिवर्सिटी में दादा वाइसचांसलर हुए. उसे में पिता और बेटा भी. यह शायद इतिहास में बहुत कम हुआ होगा, लेकिन हमारे बिहार और मिथिला की यही थाती है. प्रभात खबर में छपे भाई श्री के साक्षात्कार का एक प्रसंग. यह अद्भुत साक्षात्कार हरिवंश सर ने किया है.
हर एक मैथिल और बिहारी के लिए ये गर्व की बात है. जिस यूनिवर्सिटी में दादा वाइसचांसलर हुए. उसे में पिता और बेटा भी. यह शायद इतिहास में बहुत कम हुआ होगा, लेकिन हमारे बिहार और मिथिला की यही थाती है. प्रभात खबर में छपे भाई श्री के साक्षात्कार का एक प्रसंग. यह अद्भुत साक्षात्कार हरिवंश सर ने किया है.
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