स्मार्ट सिटी क्या बोलेगी?
सौ साल से ज्यादा पुराना नगर भवन शर्म में डूबा जा रहा है. इसके चारों ओर ऐसी स्थिति बन गयी है, मोटरसाइकिल और गाड़ी क्या, पैदल भी निकलना मुश्किल है. अगर पैदल चलते समय आप संभले नहीं, तो गिरना तय है. साल भर पहले जब साफ-सफाई और रंग रोगन हुआ था, तो नगर भवन को लगा था कि मेरे दिन फिर जायेंगे. हाल में मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी घोषित हो गया है, लेकिन नगर भवन के दिन फिर पहले जैसे होते जा रहे हैं. यही परेशानी उसे खाये जा रही है. आसपास में दो-दो पार्क, लेकिन में भी चहल-पहल नहीं. दोनों में ताला बंद. अगर कोई इस सड़क का रुख करता है, तो उसका अपना स्वार्थ होता है. स्वार्थ कैसा, यह इस सड़क से गुजर कर देखा जा सकता है. आपको मुंह पर रुमाल रखनी पड़ेगी.
नगर भवन की समझ में ये नहीं आ रहा है कि स्मार्ट सिटी घोषित होने के बाद उसकी दुर्दशा क्यों हो रही है? क्यों उसे गर्त में ढकेला जा रहा है, लेकिन उसे इस बात से शांति मिलती है कि शहर के जितने प्रतीक हैं, वो सब अपनी बदकिस्मती पर रो रहे हैं. कोई भी अपने पर इतरा नहीं सकता. कल्याणी चौक, 36 घंटे से पानी में डूबा है. स्टेशन रोड की नियति ही नाले का पानी हो गयी है. वहां से निकलना मुश्किल हो रहा है. मोतीझील में आप खोजते रह जायेंगे, मोती नहीं मिलेगा. अलबत्ता पानी से आपकी तबियत जरूर खराब हो जायेगी. संतोषी माता मंदिर के पास से गुजरना किसी जंग से कम नहीं है. यहीं से इस्लामपुर लहठी मंडी शुरू होती है, जहां से विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय की शादी में लहठी गयी थी, लेकिन बारिश ने इस सड़क को गंदा नाला बना दिया है.
गंदे पानी के बीच गुजरती कारें और मोटरसाइकिलें सड़क पर समुद्र आनेवाली लहरों जैसा अनुभव पैदा करती हैं. सदर अस्पताल के सामने घुटने भर पानी है. यहां से आप पैदल गुजरे, तो भीगना तय है, क्योंकि इस रोड पर वाहन बहुत चलते हैं. ये सब जगहें नगर भवन से कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही हैं, जिन्हें वह बिना किसी परेशानी के देख सकता है. हाल के सालों में मोतीझील ओवरब्रिज बनने से दूर तक देख पाने में कुछ बाधा आयी है, लेकिन नगर भवन को इतिहास तो सबका मालूम ही है. वह सब देख रहा है. शहर पहले कैसा था, अब कैसे हो गया है.
दो दिन की बारिश ने शहर के निचले इलाकों को झील में बदल दिया है. हर गली मुहल्ले और घर में पानी है. पानी की परेशानी के बीच काम हो रहा है. 2016 से ही पूरे शहर में नालों की निर्माण तेजी से हो रहा था, तब इनकी गुणवत्ता पर सवाल उठाया गया, तो किसी ने ध्यान नहीं दिया. अब इनसे पानी नहीं निकल रहा, तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. इस तरह से एक और योजना अपनी नियति की भेट चढ़ गयी. नालों पर कितने लाख खर्च हुये पता नहीं, लेकिन पानी निकालने के लिए बड़े-बड़े अधिकारी दिन रात एक किये हुये हैं, लेकिन पानी है कि निकलने का नाम ही नहीं ले रहा है. माड़ीपुर सड़क को ऊंचा इलाका माना जाता है, लेकिन यहां से चक्कर चौक की ओर बढ़िये, सच्चई सामने आ जायेगी. यही हाल है, जिसे देख कर नगर भवन की तल्खी भी कुछ कम होती है. कहता है, हम क्यों ज्यादा परेशान हों, सब तो वैसे ही हैं.
निचले बसे इलाकों के साथ नयी बसी कालोनियों पर भी हाल बेहाल है. वहां भी पानी भरा है. गांव से जो लोग शहर आ रहे हैं. वह भी कुछ ऐसी ही दास्तान सुना रहे हैं. नगर भवन के सामने से गुजरते समय फोन बज उठा. किसी तरह संभलते हुये फोन उठाने की कोशिश की, तो गंदे पानी में जाते-जाते बचा, रिसीव किया, तो सामने से एक नेता जी थी. कहने लगे गांव का हाल खराब है. सब्जी की खेती बर्बाद हो गयी. धान की रोपनी हो गयी थी, लेकिन पानी भर गया. बिचड़ा भी डूब गया है. जल्दी पानी नहीं निकला, तो सब नष्ट हो जायेगा. फिर धान लगाने में देरी होगी. इसे बारिश नहीं आपदा कहिये. दो दिन में गांव में जिधर देखो पानी ही नजर आ रहा है.
फेसबुकिये युवा वर्ग को अलग ही सूझ रही है. वह अपनी तरह से बारिश को देख रहा है. पैंट मोड़ कर कल्याणी से टावर चौक और देवी मंदिर की ओर चला जायेगा, लेकिन मोबाइल से कनेक्टेड होड फोन नहीं छूटेगा. अभी-अभी मैसेज आया, लिखा है, हैलो, इंद्र भगवान, मोटर बंद कर दो, पानी भर गया है. अब इसे क्या कहेंगे? यही मोबाइल का जमाना है और ये हम हैं, जो ऐसी बातों पर ध्यान देते हैं. इतना कहते, सुनते और पढ़ते-पढ़ते हम अब नगर भवन से इतना दूर निकल आये हैं कि वह दिखायी नहीं दे रहा है. इसलिए उसका दुख-दर्द भी महसूस नहीं हो रहा है. आगे फिर कभी.
Muzaffarpur ki baarish🌧
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🌧बारिश ईश्वर द्वारा दी गई प्रकृती की सबसे खूबसुरत देन ।👫हर उम्र के लोगो के लिये इसका अलग एहसाश जुडा होता हैं ।भले ही बारिश की 🌈बुंदो मैं कोई रंग नहीं होता फिर भी ये फिजा को 🌈रंगीन बना देता हैं ।प्रकृती की बात करे तो इसे 🌱🌱🌲हरा भरा ये बारिश ही बनाती हैं ।किसान खेती के लिये 🌧बारिश से ही ऊमीद लगाते हैं ।जब 🌧बारिश अच्छी होती हैं तो भारत के 🗿 किसान भी बड़ी मेहनत और लगन से अनाज उपजाते हैं । जो भारत की अच्छी 💰अर्थववस्ता के लिये योगदान साबित होता हैं ।मेरे शहर मुजाफफारपुर मैं भी ईस बार कई वर्सो के बाद अच्छी वर्षा हूई ।जब बारिश नहीं हो रही थी तब लोग बारिश होने के लिये कही 🕌हवन तो कही 🕋 मन्नंत मांग रहे थे । ईश्वर की मेहरबानी हूई 🌬इन्द्र देव ने भरपुर वर्षा हमारे शहर मुजफफरपुर मैं की ।लोग बड़े खुश थे ।चारो तरफ लोग बारिश का 🤗 आनांद भी ले रहे थे । धीरे धिरे वर्षा तेज होने लगी कई दिनो तक लगातार 🌨वर्षा होने लगी ।जो लोग खुश थे वो समय के साथ परेसान और दुखी होने लगे ।क्यूंकी 🌧 बारिश का पानी चारो तरफ फैल चुका था ।शहर का निचला स्तर 🌊 ड़ूबने लगा ।बारिश का पानी जमा होने के कारण नदि नाले सब भर कर उफनाने लगे ।शहर मैं चलना मुसकिल हो गया ।हर जगह जाम लगने लगा । 🤔अचानक से लोग इतनी 🌦बारिश को देखकर घबराने लगे और ⛈बारिश को 😠कोशने लगे ।बिना अपनी गलती जाने बारिश को ही गलत ठहरा दिया गया ।ज़िस 🌨बारिश का हम आनांद ले रहे थे वो हमारी ही की हूई गलतियों के कारण बेकार हो गया ।हम शहर वासी को सब चीज 💯संतुलित चाहिये ।चाहे वो 🌧बारिश ही क्यू ना हो । अपनी गलती नहीं दिखती की हमारे फिलाये कचरो से पलास्तिक से शहर का 🌊नाली जाम हो गया और सारा 🌊पानी सड़क पर जमा हो गया ।नदि की भी सफाई के अभाव मैं वाहा भी 🌊जलस्तार बढ़ गया । अगर हम अपने मुजफफरपुर के सभी नालो तालाबो को साफ रखते तो क्या ⛈बारिश का पानी कही भी ठह रता? गलती हमारी हैं हमारे सोच की हैं ।अगर शहर साफ होता तो शहर मैं 🌧बारिश उतनी भी नहीं . हूई हैं की हम उसे कोसे ।लोग कह रहे कल्याणी चौक ,मोतीझील, पुरानी बाजार और ना जाने कहाँ कहाँ पानी भर गया ।अरे भाई गंदगी और कचरा फैलाओगे नाला जाम करोगे तो भुगतान तो पड़ेगा। ⛄इंसान की आदत भी अजीब होती है उसे सब अपने 🌠 हीसाब से चाहिये ।यहां तक कि अपनी गलती भी।🎀😊😊😊😊😊😊DIPIKA PRASAD SAH.😊😊🌱🌱🌱