कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी हर समय किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में रहते हैं. उनका अंदाज भी जुदा है. वह संसद में खड़े होकर कहते हैं कि मैं गलतियां करता हूं, लेकिन ये कहने के बीच ही ऐसी गलती कर जाते हैं, जिस पर पूरी संसद में ठहाका लग जाता है. ठहाका लगानेवालों में उनके दल के सांसद भी होते हैं. राहुल की इस दशा को देख कर लगता है कि कांग्रेस जहां से चली थी, आज फिर उसी रास्ते पर आगे बढ़ रही है. ये अलग बात है कि सौ साल से ज्यादा के सफर में पार्टी ने गोल्डेन पीरियड भी देखा है, लेकिन मैं जिक्र 2015 का करना चाहता हूं, जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुये थे.
अरेराज में राहुल गांधी की चुनावी सभा थी. राहुल कांग्रेस के कर्णधार हैं और देश की बड़ी पार्टी के नेता भी. इसी आशा के साथ कवरेज के लिए मैं भी अरेराज में था. राहुल गांधी आये और उन्होंने दाल के मुद्दे से ही अपना भाषण शुरू किया और लगभग 12 मिनट बोलने के बाद अपनी बात पूरी की. इन 12 मिनटों के दौरान उन्होंने कोई ऐसी बात नहीं कही, जो स्थानीय लोगों के दिलों से छुये. राष्ट्रीय मुद्दों पर अटके रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर कमियां गिनाते रहे और रैली में आये लोग राहुल गांधी को देख रहे थे. कई लोग कह रहे थे कि हम गलत जगह आ गये हैं. ऐसी रैली में आना ही नहीं चाहिये.
पहली बार राहुल गांधी को लाइव कवर करने का मौका मेरा भी था. मुङो भी निराशा हुई, एक पत्रकार और नागरिक दोनों के तौर पर. राहुल ने अपने भाषण के दौरान लोकल कनेक्ट की कोई बात नहीं की, इसके अलावा कि यह हमारे प्रत्याशी हैं, जिन्हें आप लोग वोट दें. अब भले ही बिहार सरकार में कांग्रेस शामिल है, लेकिन जिस सीट पर राहुल ने प्रचार किया था. वहां वह चुनाव हार गयी. सबसे चौकानेवाली बात ये थी कि मोतिहारी जिसमें अरेराज पड़ता है. वहां 12 विधानसभा सीटें हैं. कद्दावर नेता होने के नाते 12 प्रत्याशियों को राहुल की सभा में आना चाहिये था, लेकिन सभा में केवल दो प्रत्याशी आये थे. एक स्थानीय और एक किसी और विधानसभा सीट का.
रैली के बाद जब राहुल गांधी प्रत्याशियों का नाम लेकर जिताने और मंच पर आगे आने की बात करने लगे, तो तो केवल दो प्रत्याशी ही आये. पता चला कि और प्रत्याशी आये ही नहीं हैं. इनमें एक प्रत्याशी मंच से नीचे बैठे थे.
रैली में खुद की स्थिति देख राहुल को भी असहज लगा होगा शायद. यही वजह रही कि वह माइक से यह कहने लगे कि हो सकता है कि अन्य प्रत्याशियों को दूसरा काम रहा होगा. वह अपने प्रचार में व्यस्त रहे होंगे. इस वजह से रैली में नहीं आ सके. मैं आप सब लोगों से अपील करता हूं कि महागठबंधन के प्रत्याशियों को जितायें. राहुल की इस ब्रांड वैल्यू को देख कर मुङो भी कुछ समझ में आ रहा था.
अरेराज में राहुल गांधी की चुनावी सभा थी. राहुल कांग्रेस के कर्णधार हैं और देश की बड़ी पार्टी के नेता भी. इसी आशा के साथ कवरेज के लिए मैं भी अरेराज में था. राहुल गांधी आये और उन्होंने दाल के मुद्दे से ही अपना भाषण शुरू किया और लगभग 12 मिनट बोलने के बाद अपनी बात पूरी की. इन 12 मिनटों के दौरान उन्होंने कोई ऐसी बात नहीं कही, जो स्थानीय लोगों के दिलों से छुये. राष्ट्रीय मुद्दों पर अटके रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर कमियां गिनाते रहे और रैली में आये लोग राहुल गांधी को देख रहे थे. कई लोग कह रहे थे कि हम गलत जगह आ गये हैं. ऐसी रैली में आना ही नहीं चाहिये.
पहली बार राहुल गांधी को लाइव कवर करने का मौका मेरा भी था. मुङो भी निराशा हुई, एक पत्रकार और नागरिक दोनों के तौर पर. राहुल ने अपने भाषण के दौरान लोकल कनेक्ट की कोई बात नहीं की, इसके अलावा कि यह हमारे प्रत्याशी हैं, जिन्हें आप लोग वोट दें. अब भले ही बिहार सरकार में कांग्रेस शामिल है, लेकिन जिस सीट पर राहुल ने प्रचार किया था. वहां वह चुनाव हार गयी. सबसे चौकानेवाली बात ये थी कि मोतिहारी जिसमें अरेराज पड़ता है. वहां 12 विधानसभा सीटें हैं. कद्दावर नेता होने के नाते 12 प्रत्याशियों को राहुल की सभा में आना चाहिये था, लेकिन सभा में केवल दो प्रत्याशी आये थे. एक स्थानीय और एक किसी और विधानसभा सीट का.
रैली के बाद जब राहुल गांधी प्रत्याशियों का नाम लेकर जिताने और मंच पर आगे आने की बात करने लगे, तो तो केवल दो प्रत्याशी ही आये. पता चला कि और प्रत्याशी आये ही नहीं हैं. इनमें एक प्रत्याशी मंच से नीचे बैठे थे.
रैली में खुद की स्थिति देख राहुल को भी असहज लगा होगा शायद. यही वजह रही कि वह माइक से यह कहने लगे कि हो सकता है कि अन्य प्रत्याशियों को दूसरा काम रहा होगा. वह अपने प्रचार में व्यस्त रहे होंगे. इस वजह से रैली में नहीं आ सके. मैं आप सब लोगों से अपील करता हूं कि महागठबंधन के प्रत्याशियों को जितायें. राहुल की इस ब्रांड वैल्यू को देख कर मुङो भी कुछ समझ में आ रहा था.
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