प्रधानमंत्री की सभा खत्म होने के बाद ही हमको लेकर कलह बढ़ने लगी थी, तब हमारे आसपास रहनेवाले लोगों ने साउथ चक्कर की सड़क बनने को अपनी जीत समझ लिया था. आनन-फानन में नरेंद्र मोदी पथ का बोर्ड लगा दिया था, जिसे जश्न के तौर पर देखा गया और परेशानी का दौर शुरू हो गया. हालांकि इससे पहले भी इक्का-दुक्का चीजें होती रहती थीं, लेकिन इसके बाद कटुता बढ़ती गयी. कुछ दिन में उस रास्ते को ट्रैक्टर से जोत दिया गया, जिससे होकर लोग अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने जाते थे, लेकिन तब हमारे आंगन में घूमनेवालों पर पाबंदी नहीं लगी थी, लेकिन लोगों में यह खौफ रहता था कि चक्कर रोड से गुजरेंगे, तो कभी भी चेकिंग हो सकती है, हालांकि इससे आसपास के लोग खुद को महफूज महसूस करते थे.
लोग उन जगहों पर घूमने लगे और अड्डा जमाने लगे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलीकॉप्टर उतारने के लिए बनाये गये थे. तीन हेलीकॉप्टर उतरे थे उस दिन, जब मोदी जी आये थे. तीनों हैलीपैड पर लोग सुबह होते ही जुटते और कसरत करते. दौड़ते. बैठ कर बातें करते. आसपास हरियाली होने की वजह से शुद्ध हवा उन्हें मिलती थी. आसपास में कई पगडंडी, जिनसे सुबह से शाम तक लोगों का आना-जाना होता था. कितना अच्छा लगता था. सब कुछ सामान्य चल रहा था. छुट्टी के दिन खूब लोग जुटते थे.
हां, एक बात का जिक्र करना मैं भूल ही गया. हमें 2015 का वो दिन भी याद है, जब मिलिट्री में भर्ती के दौरान हमारे आंगन में नंगे बदन युवाओं को बैठा कर परीक्षा ली गयी थी. उन्हें कपड़े उतारने के लिए सिर्फ इसलिए कहा गया था, ताकि वह नकल नहीं कर सकें. यही दलील दी गयी थी, इसके जिम्मेवार अधिकारियों की ओर से. वह अच्छा दिन नहीं था, क्योंकि ऐसा होना नहीं चाहिये थे. हालांकि उसी के बाद यह परंपरा बंद भी हो गयी. अब परीक्षा के समय युवाओं के कपड़े नहीं उतरवाये जाते. यह अच्छा हुआ.
अब तो हमारे आंगन में आने-जाने पर रोक है, लेकिन मैंने सुना है कि हमारे विकास के लिए खाका तैयार किया गया है, जिसमें तमाम तरह के काम होने हैं. पार्क बनना है. लोगों के चलने के लिए पाथ-वे बनना है, जिस पर मार्निग वाक करने की छूट होगी, लेकिन उस छूट का क्या मतलब, जब लोगों की आदत ही बदल जायेगी. कितने लोग हमारे आसपास की सड़क पर टहलते हुये मेरे बारे में चर्चा करते हैं. वह मुङो अच्छा नहीं लगता है. कई बार तो लगता है कि काश मैं कुछ कर सकता, तो अपनी बाहें फैला कर उन लोगों ने अपने आंगन में समेट लेता और खूब मार्निग वाक करने को कहता, ताकि वो सेहतमंद रहें और देश-समाज, अपने परिवार के काम आ सकें. अच्छी सेहत को ही सफलता की कुंजी माना जाता है, जो हमारे आंगन में थी, लेकिन अब वह कुंजी छीन ली गयी है.
यहां हम एक और बात का जिक्र करना चाहता हूं. कुछ आसाजिक तत्व भी छूट का फायदा उठा रहे थे, जो अनैतिक गतिविधियां हमारे आंगन में करते थे. उन्हें रोकने की जरूरत थी. अब तो शराबबंदी है, लेकिन इससे पहले वो नशा पान व मादक पादर्थ हमारे आंगन में आकर लेते थे. यह बिल्कुल अच्छा नहीं था. इसकी भी चर्चा मैं लगातार सुनता था. वह भी मुङो अच्छा नहीं लगता था, लेकिन अब तो मजबूर हूं और उस दिन की राह देख रहा हूं, जब हमारा कायाकल्प होगा और मैं फिर से लोगों के काम आ सकूंगा, उसी दिन मैं खुल कर हंसूगा और खिलखिलाऊंगा. ये हमारे जीवन का स्वर्णिम दिन होगा. तब तक के लिए नमस्कार!
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