मुजफ्फरपुर नगर निगम में जीते दो दर्जन वार्ड पार्षद मेयर चुनाव से पहले तीर्थयात्रा पर चले गये हैं. इनकी यात्र का नाम तीर्थ है, लेकिन सुनने में आया है कि हिल स्टेशन की सैर पर हैं. यह पहली बार नहीं है, जब चुनाव जीतने के बाद वार्ड पार्षद तीर्थयात्रा पर गये हैं. पहले भी जाते रहे हैं और जिस तरह से मिजाज दिख रहा है. उससे लगता है अगर कोई बड़ा और कड़ा सुधार नहीं हुआ, तो आगे के चुनावों में भी ऐेसा होता रहेगा.
चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही संभावित प्रत्याशी लोगों से संपर्क में जुट गये थे. चुनाव की घोषणा के बाद यह और बढ़ गया, जब मतदान की तारीख नजदीक आयी, तो कैसेट के जरिये हमदर्दी जुटाने लगे. आठ सौ ठेलों के जरिये पूरे शहर को मथ दिया गया. कहा जाता था कि हम ही सबसे हितैषी हैं, जो चुनाव जीतने के बाद आपके काम आयेंगे. आपके मुहल्ले की सड़क बनवायेंगे. नाली साफ करायेंगे. आपके सुख-दुख में खड़े रहेंगे. आपके बीच में रहेंगे. यह सिलसिला मतदान के दिन तक परवान पर रहा, लेकिन मतदान पूरा होते हैं. गुजरा गवाही और लौटा बराती..वाली कहावत सही साबित होने लगी, जो प्रत्याशी मोबाइल के जरिये अपनी खूबियों के लेकर प्रकट हो रहे थे. उनमें से ज्यादातर ने मुंह मोड़ लिया. रिजल्ट के दिन समर्थकों के साथ गये. काउंटिंग सेंटर पर फोटो खिचाई और फिर अंतरध्यान हो गये. यह स्थिति सभी पार्षदों की नहीं है, लेकिन ज्यादातर के मामले में यही सामने आया. रिजल्ट निकलने के अगले दिन से ही तरह-तरह की अफवाहें जोर पकड़ने लगीं.
कोई कहने लगा कि वहां काउंटर खुला है, तो किसी का कहना था कि नये लोग निगम की सरकार बनायेंगे. इन्हीं के बीच तीन दिन के अंदर ही बहुमत का दावा होने लगा. एक-दूसरे की जासूसी का भी लुत्फ कथित किंगमेकर उठाने लगे. कहने लगे कि हमें जानकारी है, विरोधी खेमे में क्या मंथन चल रहा है. हमने उसकी काट निकाल ली है. हम किसी भी कीमत पर अपने प्रत्याशी को जिता कर रहेंगे. इन दावों के बीच शहर में ऐसी बारिश हुई कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों के किये गये सब दावे धुलते दिखे, लेकिन दावे करनेवाले ज्यादातर प्रत्याशी लोगों के बीच से गायब थे. अब वो समर्थक भी नहीं दिख रहे थे, जो चुनाव के दौरान अपने नेता की दुहाई दे रहे थे. मौसम के मुताबिक ये लोग फिर से अपने स्थिति में आ गये हैं. शायद अगला कोई चुनाव आये, तो ये समर्थक भी फिर से सक्रिय हों. अभी फिलहाल शहर में जिन लोगों को सक्रिय नहीं होना चाहिये. उन्हीं की चर्चा हो रही है, जिन लोगों के लिए सक्रिय हैं. वह तीर्थयात्र पर हैं. गहमा-गहमी तो चलती रहेगी, लेकिन नौ जून को ज्यादा बढ़ जायेगी, क्योंकि उस दिन किसी एक का दावा गलत निकलेगा, क्योंकि होना एक ही मेयर है. अगर तीन-तीन मेयर का चयन किया जाना होता, तो शायद सबको रेवड़ी मिल जाती, लेकिन ऐेसा नहीं हैं. हालांकि रिजल्ट आने के बाद से समय खूब है चुनाव के बीच. इसका लुत्फ जीते हुये कई वार्ड पार्षद उठा रहे हैं, जो नहीं उठा पा रहे, उनमें से कई बाहर जाने की इच्छा रखते हैं. ऐसा सुन रहा हूं.
चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही संभावित प्रत्याशी लोगों से संपर्क में जुट गये थे. चुनाव की घोषणा के बाद यह और बढ़ गया, जब मतदान की तारीख नजदीक आयी, तो कैसेट के जरिये हमदर्दी जुटाने लगे. आठ सौ ठेलों के जरिये पूरे शहर को मथ दिया गया. कहा जाता था कि हम ही सबसे हितैषी हैं, जो चुनाव जीतने के बाद आपके काम आयेंगे. आपके मुहल्ले की सड़क बनवायेंगे. नाली साफ करायेंगे. आपके सुख-दुख में खड़े रहेंगे. आपके बीच में रहेंगे. यह सिलसिला मतदान के दिन तक परवान पर रहा, लेकिन मतदान पूरा होते हैं. गुजरा गवाही और लौटा बराती..वाली कहावत सही साबित होने लगी, जो प्रत्याशी मोबाइल के जरिये अपनी खूबियों के लेकर प्रकट हो रहे थे. उनमें से ज्यादातर ने मुंह मोड़ लिया. रिजल्ट के दिन समर्थकों के साथ गये. काउंटिंग सेंटर पर फोटो खिचाई और फिर अंतरध्यान हो गये. यह स्थिति सभी पार्षदों की नहीं है, लेकिन ज्यादातर के मामले में यही सामने आया. रिजल्ट निकलने के अगले दिन से ही तरह-तरह की अफवाहें जोर पकड़ने लगीं.
कोई कहने लगा कि वहां काउंटर खुला है, तो किसी का कहना था कि नये लोग निगम की सरकार बनायेंगे. इन्हीं के बीच तीन दिन के अंदर ही बहुमत का दावा होने लगा. एक-दूसरे की जासूसी का भी लुत्फ कथित किंगमेकर उठाने लगे. कहने लगे कि हमें जानकारी है, विरोधी खेमे में क्या मंथन चल रहा है. हमने उसकी काट निकाल ली है. हम किसी भी कीमत पर अपने प्रत्याशी को जिता कर रहेंगे. इन दावों के बीच शहर में ऐसी बारिश हुई कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशियों के किये गये सब दावे धुलते दिखे, लेकिन दावे करनेवाले ज्यादातर प्रत्याशी लोगों के बीच से गायब थे. अब वो समर्थक भी नहीं दिख रहे थे, जो चुनाव के दौरान अपने नेता की दुहाई दे रहे थे. मौसम के मुताबिक ये लोग फिर से अपने स्थिति में आ गये हैं. शायद अगला कोई चुनाव आये, तो ये समर्थक भी फिर से सक्रिय हों. अभी फिलहाल शहर में जिन लोगों को सक्रिय नहीं होना चाहिये. उन्हीं की चर्चा हो रही है, जिन लोगों के लिए सक्रिय हैं. वह तीर्थयात्र पर हैं. गहमा-गहमी तो चलती रहेगी, लेकिन नौ जून को ज्यादा बढ़ जायेगी, क्योंकि उस दिन किसी एक का दावा गलत निकलेगा, क्योंकि होना एक ही मेयर है. अगर तीन-तीन मेयर का चयन किया जाना होता, तो शायद सबको रेवड़ी मिल जाती, लेकिन ऐेसा नहीं हैं. हालांकि रिजल्ट आने के बाद से समय खूब है चुनाव के बीच. इसका लुत्फ जीते हुये कई वार्ड पार्षद उठा रहे हैं, जो नहीं उठा पा रहे, उनमें से कई बाहर जाने की इच्छा रखते हैं. ऐसा सुन रहा हूं.