मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

मैं खुद को, खुद से बांट नहीं सकता.

मैं खुद को, खुद से बांट नहीं सकता.
ऐ मेरे मालिक, ऐ मेरे मौला.
जो कहता है, कहने दो.
मेरा कुछ होनेवाला है क्या?
मैं तो खुद जान नहीं सकता.

कल ही तो शरु हुआ, सफर अपना.
इतनी जल्दी, क्या खोना, क्या पाना?
कुछ अनुभव, तो कर लेने दो.
कुछ कड़वे घूट, तो पी लेने दो.

ऐसे क्या जल्दी, जाने-जाने की.
इतनी जल्दी उठ जाऊं मैं.
मैं वो खाट नहीं, हो सकता.
मैं खुद को, खुद से बांट नहीं सकता. 


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