मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

निहत्था पैगंबर थे राष्ट्रपिता महत्मा गांधी

वरिष्ठ समाजवादी सच्चिदानंद सिन्हा ने अपनी किताब निहत्था पैगंबर के बारे में एलएस कॉलेज में व्याख्यान दिया. राष्ट्रपिता महत्मा गांधी की विचारधारा पर आधारित ये पुस्तक जल्दी ही बाजार में आनेवाली है. किताब में बताया गया है कि कैसे महत्मा गांधी की अहिंसावादी नीति ने देश को बदला और आजादी दिलायी. हथियारों पर आधारित क्रांतियों का जिक्र भी पुस्तक में किया गया है. इसी व्याख्यान के कुछ अंश हम क्रमवार आपके सामने रख रहे हैं.
ईश्वर है भी, तो नैतिकता की जरूरत कैसे स्थापित होती है? ये कैसे मालूम होता है कि जो कुछ भी नैतिक माना जा रहा है. वास्तव में वो ईश्वर की आवाज है. ओल्ड टेस्टामेंट की एक कहानी है, जिसमें अब्राहम अपने पुत्र का बध करता है. आवाज आती है ईश्वर से कि तुम पुत्र का बध करो, लेकिन सवाल है कि तब तय उसको करना है, जो आवाज आ रहा ही, वो ईश्वर की आवाज है या शैतान की आवाज है. वो कहते हैं की अंतत: हमको तय करना है कि क्या सही है, क्या गलत है? तो एक बहुत बड़ा प्रश्न नैतिकता के बारे में किया था कि नैतिकता का आधार क्या है? अगर कोई आधार नहीं है, तो कुछ भी करना जायज है. कुछ ने कहा कि आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, सब कुछ ठीक है. आप पर नैतिक दोष नहीं लगाया जा सकता है. एक तो ये विवाद था. मेरे दिमाग में ये था, जिस समय पुस्तक लिख रहा था. दूसरी बात, उस समय बहुत बड़ी-बड़ी क्रांतियां हो चुकी थीं. उनके परिणाम सामने आ रहे थे. वियतनाम में क्रांति हो गयी थी. क्यूबा में क्रांति हो चुकी थी, तो क्रांति के जो नतीजे थे. उनके बारे में भी दुनिया भर में विवाद शुरू हो गया था कि क्या क्रांति वहीं जा रही है कि क्या, जो उसका लक्ष्य था या कहीं, दूसरी दिशा में जा रही है. इसमें स्थायित्व है क्या? बहुत सारी बातें हो रही थीं और उसी संदर्भ था कि गांधी जी ने अहिंसा की बात की, तो ये संभव है क्या? एक राजनीतिक विचारक था मैकियावैली. उसकी लिखी किताब..द प्रिंस..उस समय सबसे बड़ी किताब मानी जाती थी, तो उसने एक स्थापना दी. दुनिया में जितने भी सश मसीहा हुये हैं, वो सफल हुये हैं और जो नि:श मसीहा थे, वो सब असफल हुये हैं, तो एक सवाल ये भी था. दोनों चीजों को लेकर मैंने इस पर किताब लिखी. इस किताब के बारे में ज्यादा कुछ कहना मेरे लिये मुश्किल है, लेकिन जो मैकियावैली ने कहा था कि उसको मैं बताना चाहता हूं.
मैकियावैली कहता है कि जो अपने विचार में स्थिर नहीं रहते हैं. पैगंबर आता है. दुनिया को कुछ रास्ते बतलाता है. एक स्थिति के बाद जब लोग कमजोर पड़ने लगते हैं, उसके विचारों को लागू करने से कतराते हैं, तो अगर पैगंबर में शक्ति होती है, तो जबरदस्ती उनके ऊपर विचार थोप करके काम करवा लेता है. अगर वो कमजोर होता है, तो वह उसे लागू नहीं कर पाते हैं. इसलिए वो पैगंबर को हटा देते हैं. इसलिए उसने कहा कि दुनिया में जितनी सश पैगंबर हुये, वो तो सफल हुये, जो नि:श पैगंबर हुये. वो पराजित हुये. इसका एक और संदर्भ था. वो भी रूसी क्रांति के बैकग्राउंड में. रूसी क्रांति के बड़े नायक थे ट्रॉवोस्की. उनकी जीवनी तीन खंडों में है. जारी..

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