रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. मुजफ्फरपुर के आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर पर्व मनाये जाने की सूचना मिलती थी, लेकिन इस बार मुजफ्फरपुर में जिस तरह से सुबह से शाम तक शोभायात्रा निकलती रही, वो पहली बार देखने को मिला. पूरे दिन शहर में शोभा यात्राओं का दौर चलता रहा था. जय श्री राम के नारों से सारा शहर गूंजता रहा. शोभा यात्राओं का असर ये रहा कि शहर में जगह-जगह जाम लगा.
पिछले तीन दिन से जिस तरह से तैयारियां चल रही थीं. उससे साफ हो रहा था कि इस बार कैसी रामनवमी होनेवाली है. पूरे शहर में जगह-जगह भगवा पताका बांधी गयी थी. इसके लिए तीन दिन पहले से बाकायदा अभियान चल रहा था. युवा इस काम में लगे थे, जो मोटरसाइकिल पर पताका लगा कर तेजी से शहर का चक्कर लगा रहे थे. इन सबको इलाके के हिसाब से जिम्मेवारी दी गयी थी, ऐसा देखने से लगता है, क्योंकि कोई भी इलाका ऐसा नहीं दिखा, जहां पर भगवा पताकाएं नहीं लगायी गयी हों. शहर में जिस तरफ जाइये. पताकाएं देखने के मिल रही थीं. बुधवार की सुबह ही सिकंदरपुर इलाके से शोभायात्रा की शुरुआत हुई. इसमें संघ के साथ भाजपा से जुड़े लोग भी शामिल हुये.
भाजपा से जुड़े लोगों ने जब भव्य शोभा यात्र और तलवार आदि के साथ यात्रा में शामिल होने के संबंध में पूछा गया, तो इनका कहना था कि इस बार उत्साह ज्यादा है. लोग स्वत: स्फूर्त होकर ऐसा कर रहे हैं. शोभायात्रा में शामिल हो रहे हैं. वहीं, संघ से जुड़े लोग कह रहे थे कि इस बार आम लोगों में रामनवमी को लेकर ज्यादा उत्साह है. इसी का असर शोभायात्रा के दौरान देखने को मिला. शहर में रहनेवाले कुछ लोगों का कहना था कि पिछले लगभग दशक भर में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतने बड़े पैमाने पर रामनवमी पर शोभायात्रा निकली है. पहली भी यात्र निकलती थी, लेकिन वह सीमित होती थी. इस बार बड़ी यात्रा निकली है.
अन्य दलों के लोग इसके राजनीतिक मायने तलाश रहे हैं, लेकिन यह उनका मत हो सकता है. जिस तरह से रामनवमी को लेकर शहर में लोग सड़कों पर उतरे. वह अलग नजारा पेश कर रहा था. शोभा यात्राओं पर जगह-जगह फूलों की बारिश की जा रही थी. कहीं, ठंडाई का इंतजाम था, तो कहीं पर लोगों को प्रसाद खिलाया जा रहा था. माइक से एनाउंसमेंट हो रहा था, जो भक्त प्रसाद घर ले जाना चाहते हैं, तो वह प्रसाद ले भी जा सकते हैं.
पिछले तीन दिन से जिस तरह से तैयारियां चल रही थीं. उससे साफ हो रहा था कि इस बार कैसी रामनवमी होनेवाली है. पूरे शहर में जगह-जगह भगवा पताका बांधी गयी थी. इसके लिए तीन दिन पहले से बाकायदा अभियान चल रहा था. युवा इस काम में लगे थे, जो मोटरसाइकिल पर पताका लगा कर तेजी से शहर का चक्कर लगा रहे थे. इन सबको इलाके के हिसाब से जिम्मेवारी दी गयी थी, ऐसा देखने से लगता है, क्योंकि कोई भी इलाका ऐसा नहीं दिखा, जहां पर भगवा पताकाएं नहीं लगायी गयी हों. शहर में जिस तरफ जाइये. पताकाएं देखने के मिल रही थीं. बुधवार की सुबह ही सिकंदरपुर इलाके से शोभायात्रा की शुरुआत हुई. इसमें संघ के साथ भाजपा से जुड़े लोग भी शामिल हुये.
भाजपा से जुड़े लोगों ने जब भव्य शोभा यात्र और तलवार आदि के साथ यात्रा में शामिल होने के संबंध में पूछा गया, तो इनका कहना था कि इस बार उत्साह ज्यादा है. लोग स्वत: स्फूर्त होकर ऐसा कर रहे हैं. शोभायात्रा में शामिल हो रहे हैं. वहीं, संघ से जुड़े लोग कह रहे थे कि इस बार आम लोगों में रामनवमी को लेकर ज्यादा उत्साह है. इसी का असर शोभायात्रा के दौरान देखने को मिला. शहर में रहनेवाले कुछ लोगों का कहना था कि पिछले लगभग दशक भर में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतने बड़े पैमाने पर रामनवमी पर शोभायात्रा निकली है. पहली भी यात्र निकलती थी, लेकिन वह सीमित होती थी. इस बार बड़ी यात्रा निकली है.
अन्य दलों के लोग इसके राजनीतिक मायने तलाश रहे हैं, लेकिन यह उनका मत हो सकता है. जिस तरह से रामनवमी को लेकर शहर में लोग सड़कों पर उतरे. वह अलग नजारा पेश कर रहा था. शोभा यात्राओं पर जगह-जगह फूलों की बारिश की जा रही थी. कहीं, ठंडाई का इंतजाम था, तो कहीं पर लोगों को प्रसाद खिलाया जा रहा था. माइक से एनाउंसमेंट हो रहा था, जो भक्त प्रसाद घर ले जाना चाहते हैं, तो वह प्रसाद ले भी जा सकते हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें