शनिवार, 8 अप्रैल 2017

बापू ने पूछा, बड़े होकर क्या करोगे, मैंने कहा, सेवा

राष्ट्रपित महत्मा गांधी जी से जिन्होंने मुलाकात की हो. ऐसे कम ही लोग अब बचे हैं. इन्हीं में से एक हैं पूर्व मंत्री ब्रज किशोर सिंह, जो अब मोतिहारी में रहते हैं, लेकिन इनके गांव का नाम चैता है, जहां से इनका लगातार जुड़ाव बना हुआ है. गांधी जी के जीवन मूल्यों को समर्पित ब्रज बाबू अभी गांधी संग्रहालय के सचिव हैं और चंपारण शताब्दी वर्ष पर होनेवाले समारोह में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं.
चंपारण में गांधी जी से जुड़ी 15 जगहों पर विशेष काम कर रहे हैं. सात अप्रैल को मुलाकात हुई, तो कहने लगे संग्रामपुर जाना है. वहां पर लोगों के साथ बैठक रखी है. काम करना है. जल्दी-जल्दी बात की और संग्रामपुर के लिए निकल गये. कहने लगे, 1947 की बात है. बापू पटना आये थे. उस समय मेरी कुछ समझ विकसित हो रही थी. मैंने अपने पिता से जिद की और कहा कि हमें बापू से मिलना है. वह हमें लेकर पटना गये. वहां मुलाकात हुई और हमने बापू को प्रणाम किया, तो वह मेरी ओर मुखातिब हुये. बोले, बड़े होकर क्या करोगे? मैंने उत्तर दिया, सेवा. इसके बाद उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रख दिया.
ब्रज किशोर सिंह कहते हैं कि वो दिन और आज का दिन. बापू की बात हमें याद है. हम लगातार सेवा के काम में लगे हैं. वह कहते हैं कि सौ साल के पहले की स्थिति अलग थी. अबकि अलग है. शिक्षा पर विशेष जोर दिये जाने की जरूरत है. इससे ही बदलाव आयेगा. अगर हम लोग शिक्षा की हालत सुधार ले जाते हैं, तो सभी समस्याओं का हल हो जायेगा. हमें शताब्दी वर्ष पर इसका संकल्प लेना चाहिये. वह कहते हैं कि किसानों की स्थिति पहले से खराब हुई है. पिछले सात-आठ साल में प्रकृति की मार कृषि पर पड़ी है, लेकिन इसका कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है. सरकार की ओर से योजनाओं के नाम पर तमाम व्यवस्था की गयी है, लेकिन उनका लाभ असली किसानों तक नहीं पहुंच पाता है.

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