हाल के दिनों में मुजफ्फरपुर व आसपास के इलाके में जो घटनाएं हो रही हैं, जो सोचने को मजबूर कर रही हैं. यह वही समय है, जब हम चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जिसमें सत्य और अहिंसा के बल पर बापू ने अंगरेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन बापू की प्रतीकात्मक यात्र के बीच हिंसा की कई घटनाएं हुईं, जो मन को दुखाती हैं.
15 अप्रैल की बात करें, तो पारू में ऐसी घटना हुई, तो लोगों के कम हो रहे सब्र का परिचय देती हैं. यहां एक बाइक से बकरी के बच्च कुचल गया. इसका परिणाम ये हुआ कि लोगों ने बाइक सवार की पीट-पीट कर जान ले ली. इसके बाद गुस्साये लोगों ने आरोपितों समेत दर्जनों की संख्या में झोपड़ियों को जला दिया. ये घटना बदले की कार्रवाई की वजह से बढ़ती चली गयी, जिसे काबू में करने के लिए कई थानों की पुलिस को मौके पर जाना पड़ा, तब जाकर हालत नियंत्रण में आयी.
ऐसे ही कुछ दिन पहले एके-47 से सरेआम दिन-दहाड़े एक ठेकेदार की हत्या कर दी गयी. वह भी उस इलाके में जहां कुछ ही देर में गोवा की राज्यपाल का कार्यक्रम होनेवाला था. राज्यपाल उसमें आनेवाली थीं, लेकिन इससे पहले ही घटना घट गयी. तब वहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये गये थे. कहा गया था कि राज्यपाल जैसा वीआइपी होने के बाद भी इलाके की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ हुआ.
इसके बाद की एक घटना का जिक्र करना चाहूंगा, जिसमें पुलिस ने रात के समय स्वचालित हथियार लेकर बिना प्लेट की गाड़ी से घूम रहे तीन अपराधियों को चिह्नित किया. उनका पीछा किया गया. एक जगह पर अपराधी पुलिस की गश्ती टीम से घिर गये, लेकिन उन्होंने स्वाचालित हथियार दिखाया, तो गश्ती टीम में शामिल एक पुलिसवाला जमीन पर गिर गया. इसके बाद बदमाश फरार होने में सफल हो गये. इस घटना के बाद आला पुलिस अधिकारी हरकत में आये और सभी अधिकारियों को ये संदेश भेजा गया कि ऐसी स्थिति नहीं चलेगी. पुलिस को धता बताकर अपराधी भाग रहे हैं. ऐसे में पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठने लाजमी हैं. हमें मेहनत से काम करना होगा.
आला अधिकारियों की ओर से सख्ती के बाद पुलिस भी जागी है. अब एके-47 से लैश होकर जवान रात के समय गश्ती करने लगे हैं. गश्ती के लिए बड़े पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गयी है. वह बारी के हिसाब से ड्यूटी पर रहेंगे.
पुलिस की इस कवायद का क्या फायदा होता है. ये तो आनेवाला समय बतायेगा, लेकिन जिस तरह से अपराध व अपराधियों के हौसले बुलंद हुये हैं. वह समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है. क्योंकि अभी एक घटना पर काबू नहीं पाया जाता कि दूसरी घटना हो जा रही हैं.
15 अप्रैल की बात करें, तो पारू में ऐसी घटना हुई, तो लोगों के कम हो रहे सब्र का परिचय देती हैं. यहां एक बाइक से बकरी के बच्च कुचल गया. इसका परिणाम ये हुआ कि लोगों ने बाइक सवार की पीट-पीट कर जान ले ली. इसके बाद गुस्साये लोगों ने आरोपितों समेत दर्जनों की संख्या में झोपड़ियों को जला दिया. ये घटना बदले की कार्रवाई की वजह से बढ़ती चली गयी, जिसे काबू में करने के लिए कई थानों की पुलिस को मौके पर जाना पड़ा, तब जाकर हालत नियंत्रण में आयी.
ऐसे ही कुछ दिन पहले एके-47 से सरेआम दिन-दहाड़े एक ठेकेदार की हत्या कर दी गयी. वह भी उस इलाके में जहां कुछ ही देर में गोवा की राज्यपाल का कार्यक्रम होनेवाला था. राज्यपाल उसमें आनेवाली थीं, लेकिन इससे पहले ही घटना घट गयी. तब वहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाये गये थे. कहा गया था कि राज्यपाल जैसा वीआइपी होने के बाद भी इलाके की सुरक्षा के नाम पर खिलवाड़ हुआ.
इसके बाद की एक घटना का जिक्र करना चाहूंगा, जिसमें पुलिस ने रात के समय स्वचालित हथियार लेकर बिना प्लेट की गाड़ी से घूम रहे तीन अपराधियों को चिह्नित किया. उनका पीछा किया गया. एक जगह पर अपराधी पुलिस की गश्ती टीम से घिर गये, लेकिन उन्होंने स्वाचालित हथियार दिखाया, तो गश्ती टीम में शामिल एक पुलिसवाला जमीन पर गिर गया. इसके बाद बदमाश फरार होने में सफल हो गये. इस घटना के बाद आला पुलिस अधिकारी हरकत में आये और सभी अधिकारियों को ये संदेश भेजा गया कि ऐसी स्थिति नहीं चलेगी. पुलिस को धता बताकर अपराधी भाग रहे हैं. ऐसे में पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठने लाजमी हैं. हमें मेहनत से काम करना होगा.
आला अधिकारियों की ओर से सख्ती के बाद पुलिस भी जागी है. अब एके-47 से लैश होकर जवान रात के समय गश्ती करने लगे हैं. गश्ती के लिए बड़े पुलिस अधिकारियों की ड्यूटी लगा दी गयी है. वह बारी के हिसाब से ड्यूटी पर रहेंगे.
पुलिस की इस कवायद का क्या फायदा होता है. ये तो आनेवाला समय बतायेगा, लेकिन जिस तरह से अपराध व अपराधियों के हौसले बुलंद हुये हैं. वह समाज के लिए अच्छा संकेत नहीं है. क्योंकि अभी एक घटना पर काबू नहीं पाया जाता कि दूसरी घटना हो जा रही हैं.
बहुत सुंदर प्रयास आपका पोस्ट आज की व्यवस्थातंत्र व्यवहार की खामियो के तरफ ध्यान आकर्षित करता है किन्तु ये जो कुछ हो रहा है उसमे आप हम सभी जिम्मेवार है, सरकार कोई पेड़ पर बैठी चिडि़या नही हम आप ही है, साजिशन आज शिक्षित बेरोजगार हताश होकर अपराध बोध से ग्रसित है, फालतू के बातो को बढावा देकर लोगो का ध्यान मूलभूत समस्या को हटाने का सुनियोजित षडयंत्र सरकारी नौकरशाह कर रहे है। नेताओ की चमचागीरि मे पुलिस ज्यादा रुचि लेती दिख रही हैं, जात पात धर्म की संगीत पर राजनीतिक दल नागिन डांस कर रहे है । हम अपनी आनी वाली पीढ़ी को यही सब देकर जाएंगे :( यही समाज है आज का जातीय चश्मे से ही न्याय करता है असंवेदनशील शर्मनाक सच्चाई । न्याय का मंदिर भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन चुके है किन्तु जो भी जबतक आपके जैसे एक दो भी बचे है सब कुछ ठीक ठाक होगा जो भी हो उपरोक्त पोस्ट मे जिन घटनाऔ का आपने जिक्र किया है (12 बर्ष के बच्चे की मनीयारी मे हत्या समेत) बिशेषकर बकरी के चक्कर मे इंसान की हत्या मानवता शर्मसार हुई है । आपके अंदर की आत्मा को मेरा सादर प्रणाम । कृप्या लेखनी को कभी रूकने नही दे ।। बहुत बढ़िया .....आपके पोस्टस् का मुझे हमेशा इंतजार रहता है ।।
जवाब देंहटाएंस्नेही स्वजन
हौसला बढ़ाने के लिए भाई का बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएं