यह संयोग ही है कि 72 घंटे पहले प्रदेश में सत्ता बदली, तो नयी सरकार बनने की औपचारिकताएं पूरी होने लगीं. इसी बीच मुजफ्फरपुर से नगर से विधायक सुरेश शर्मा को मंत्री बनाने जाने की मांग भी जोर होने लगी. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी नहीं ली थी. इधर, सुरेश शर्मा को मंत्री बनाये जाने को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया. जातीय समीकरण बैठाया जाने लगा, लेकिन शर्मा जी जिस तरह से के नेता हैं और बड़े नेताओं से उनके जैसे संबंध हैं. उसको लेकर उनकी दावेदारी लगभग तय मानी जा रही थी. मौजूदा समय में पर्यटन विभाग की समिति के सभापति तो हैं ही. अब मंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं.
पूरा घटनाक्रम जिस तरह से चला. वह अपने आप में बिल्कुल अलग रहा. शुक्रवार की शाम को जब शर्मा जी पटना से दिल्ली के लिए रवाना हुये, तो यह माना जाने लगा कि वह मंत्री बनने जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा के कोटे से मंत्री बननेवाले ज्यादातर विधायकों को दिल्ली तलब कर लिया गया था. शनिवार की सुबह से चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन दोपहर आते-आते इस पर मुहर लग गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद फोन किया और इसके बाद राजभवन से औपचारिक रूप से न्योता आ गया.
यह बात तो शर्मा जी के मंत्री बनने की रही, लेकिन मुजफ्फरपुर जिला खासकर शहर पिछले 12 सालों में जिन हालात में है. हम 2005 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद की बात कर रहे हैं. वह किसी से छुपा नहीं है. शहर का सही तरह से विकास नहीं हो रहा है. इसका मलाल शर्मा जी को भी रहा है. हालांकि वह साल में दो-तीन बार दिल्ली का चक्कर लगा कर केंद्रीय मंत्रियों से शहर के लिए गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन अब खुद मंत्री बन गये हैं. ऐमे में शहर को उनसे विकास की उम्मीदे हैं, क्योंकि अपना शहर स्मार्ट सिटी में भी आ गया है. इस सबसे बड़ा यह है कि अब निगम में भी जदयू के प्रभाव वाले लोगों की नगर सरकार चल रही है. ऐसे में भाजपा-जदयू के साथ आने से एक अच्छा गठजोड़ भी बन गया है. केंद्र में भाजपा की सरकार है, तो प्रदेश में भाजपा की भागीदारीवाली सरकार. मुजफ्फरपुर नगर निगम में भाजपा की सहयोगी जदयू की प्रभुत्ववाली नगर सरकार. ऐसे में नगर का विकास होगा. यह आशा शहर के लोग लगाये बैठे हैं, क्योंकि अब विकास के रास्ते में कहीं भी बाधा नहीं दिखायी पड़ रही है.
शर्मा जी जब से विधायक हैं, तब से नगर निगम में उनके प्रभुत्ववाली सरकार नहीं रहने का मलाल भी उन्हें रहा है. वह लगातार इसके लिए प्रयास भी करते रहे हैं. इस बार के निगम चुनाव में भी उन्होंने खुल कर समर्थन किया था, लेकिन मेयर में उनके समर्थनवाले प्रत्याशी को जीत नहीं मिल सकी थी, लेकिन अब स्थिति बदल गयी है. ऐसे में शहर के लोग कह रहे हैं कि यहां पर मूलभूत सुविधाओं के दिशा में काम होगा. शहर में जाम, पार्किग, शौचालय जैसी समस्याओं का समाधान होगा. साथ ही स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में अपना शहर आगे बढ़ेगा.
पूरा घटनाक्रम जिस तरह से चला. वह अपने आप में बिल्कुल अलग रहा. शुक्रवार की शाम को जब शर्मा जी पटना से दिल्ली के लिए रवाना हुये, तो यह माना जाने लगा कि वह मंत्री बनने जा रहे हैं, क्योंकि भाजपा के कोटे से मंत्री बननेवाले ज्यादातर विधायकों को दिल्ली तलब कर लिया गया था. शनिवार की सुबह से चर्चाएं हो रही थीं, लेकिन दोपहर आते-आते इस पर मुहर लग गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद फोन किया और इसके बाद राजभवन से औपचारिक रूप से न्योता आ गया.
यह बात तो शर्मा जी के मंत्री बनने की रही, लेकिन मुजफ्फरपुर जिला खासकर शहर पिछले 12 सालों में जिन हालात में है. हम 2005 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद की बात कर रहे हैं. वह किसी से छुपा नहीं है. शहर का सही तरह से विकास नहीं हो रहा है. इसका मलाल शर्मा जी को भी रहा है. हालांकि वह साल में दो-तीन बार दिल्ली का चक्कर लगा कर केंद्रीय मंत्रियों से शहर के लिए गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन अब खुद मंत्री बन गये हैं. ऐमे में शहर को उनसे विकास की उम्मीदे हैं, क्योंकि अपना शहर स्मार्ट सिटी में भी आ गया है. इस सबसे बड़ा यह है कि अब निगम में भी जदयू के प्रभाव वाले लोगों की नगर सरकार चल रही है. ऐसे में भाजपा-जदयू के साथ आने से एक अच्छा गठजोड़ भी बन गया है. केंद्र में भाजपा की सरकार है, तो प्रदेश में भाजपा की भागीदारीवाली सरकार. मुजफ्फरपुर नगर निगम में भाजपा की सहयोगी जदयू की प्रभुत्ववाली नगर सरकार. ऐसे में नगर का विकास होगा. यह आशा शहर के लोग लगाये बैठे हैं, क्योंकि अब विकास के रास्ते में कहीं भी बाधा नहीं दिखायी पड़ रही है.
शर्मा जी जब से विधायक हैं, तब से नगर निगम में उनके प्रभुत्ववाली सरकार नहीं रहने का मलाल भी उन्हें रहा है. वह लगातार इसके लिए प्रयास भी करते रहे हैं. इस बार के निगम चुनाव में भी उन्होंने खुल कर समर्थन किया था, लेकिन मेयर में उनके समर्थनवाले प्रत्याशी को जीत नहीं मिल सकी थी, लेकिन अब स्थिति बदल गयी है. ऐसे में शहर के लोग कह रहे हैं कि यहां पर मूलभूत सुविधाओं के दिशा में काम होगा. शहर में जाम, पार्किग, शौचालय जैसी समस्याओं का समाधान होगा. साथ ही स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में अपना शहर आगे बढ़ेगा.