बड़ी कंपनी में काम करनेवाले राजेश का हाल बेहाल है. होली में तीन दिन की छुट्टी हो जाती, लेकिन संडे की वजह से एक दिन की छुट्टी मारी गयी. वैसे राजेश संडे को छुट्टी पर रहते हुये भी कंपनी के कामों पर ध्यान रखते हैं. एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का काम होने की वजह से सामान कब आयेगा और कब जायेगा. इसकी पूरी चिंता करने पड़ती है. इसकी वजह से कोई समय नहीं राजेश की ड्युटी का. सामान्य ड्यूटी के समय तो ऑफिस में रहना ही पड़ता है, क्योंकि पता नहीं कब बड़े सर तलब कर लें वीडियो कांफ्रेंसिंग पर. साथ ही अगर समय पर ऑफिस नहीं जायें, तो नीचे के कर्मचारी काम में लापरवाही कर देते हैं. बॉस राजेश ऑफिस में रहते हैं, तो काम अच्छा होता है, अगर किसी दिन नहीं आये, तो क्या-क्या सुनने को मिलता है कि फलां ने काम नहीं किया. फलां ऑफिस से खुद को काम के लिए निकल गया.
ऐसे में राजेश के सामने परेशानी ये है कि वो डॉक्टर की सलाह माने या फिर अपनी मंजिल को पाने के लिए रात-दिन की नींद और चैन त्यागे. क्योंकि डॉक्टर कहते हैं कि अगर रात में ज्यादा जगे, तो परेशानी होगी. नींद पूरी लेना जरूरी है. पूरी नींद लेते हैं, तो सुबह नौ से दस बज जाते हैं, तब तक ऑफिस जाने का समय हो जाता है. ऐसे में रोज की एक्सरसाइज छूट जाती है. एक्सरसाइज छूटी, तो पेट निकलने का खतरा और एक्सरसाइज करता है, तो ऑफिस समय से नहीं पहुंच पायेगा. इसी कसमकश में पिछले छह माह से राजेश की एक्सरसाइज छूट रही है, जिसका असर उसके शरीर पर दिखने लगा है, जो देखता है. कहता है, पहले से आप मोटे हो गये हैं. ये सुनते ही राजेश की परेशानी और बढ़ जाती है.
नोटबंदी के बाद कंपनी के परफारमेंस को लेकर चिंता अलग से, नगदी की परेशानी अब धीरे-धीरे दूर हो रही है, लेकिन पहले तो जुगाड़ और चिंता में ही दिन गुजरता था. किस देश से सामान आना है और कहां जाना है. इसकी ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग दोनों की चिंता राजेश के जिम्मे ही है. ऐसे में वो घर के सदस्यों को कम समय दे पाता है. माता-पिता को लगता है कि बेटा बड़ा अधिकारी हो गया है, लेकिन उनसे बात तक नहीं कर पाता. इसी के बारे में सबसे बात करके माता-पिता तो संतोष कर लेते हैं, लेकिन पत्नी और बच्चों को लगता है कि पापा उन्हें समय नहीं दे पाते हैं. पत्नी को लगता है कि ड्यूटी के बाद समय पर घर नहीं आना, राजेश का बहाना है. वो कहीं किसी और समय देते हैं. इसको लेकर अलग से टशन चलती रहती है. राजेश की पत्नी ने शादी के साल ही परिवार के साथ वैष्णों देवी जाने की मन्नत मांगी थी, लेकिन 14 साल बीत गये, नहीं जा सके. जब भी प्लान बनाते हैं, तो कोई न कोई अर्जेट काम आ जाता है. मां के धाम की यात्र कैंसिंल हो जाती है, तब परिवार में यही होता है कि मां का बुलावा नहीं आया है, इस वजह से यात्र रोकनी पड़ी.
पहले राजेश बच्चों के पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में चले जाते थे, लेकिन पिछले तीन साल से उसमें भी नहीं जा सके हैं. हाल में ही बच्चे के स्कूल के प्रिंसपल ने बुलाया था. बताया था कि बेटा कैसे पढ़ने से बच रहा है. बहाना करता है. स्कूल भी कम आता है. घर पर ध्यान देने की ताकीद कर रहे थे. कह रहे थे कि जब तक आप ध्यान नहीं देंगे. बेटा पढ़ेगा नहीं, चाहे कितने भी ट्यूशन लगवा दीजिये. प्रिंसपल के सामने बेटे को भला-बुरा कहके राजेश घर वापस आया, तो पत्नी पर गुस्सा दिखाने लगा, लेकिन पत्नी ने टका सा उत्तर दिया. हम क्या कर सकते हैं, आपका बेटा बड़ा हो गया है. अब मेरा कहना नहीं मानता है. आपसे तो बार-बार कह रहे हैं, ध्यान दीजिये, लेकिन आपको ऑफिस के काम से फुर्सत मिलेगी, तब ना आप किसी पर ध्यान दीजियेगा. आप तो केवल घर सोने के लिए आते हैं, क्या संडे, क्या मंडे. हर दिन काम. जारी..
ऐसे में राजेश के सामने परेशानी ये है कि वो डॉक्टर की सलाह माने या फिर अपनी मंजिल को पाने के लिए रात-दिन की नींद और चैन त्यागे. क्योंकि डॉक्टर कहते हैं कि अगर रात में ज्यादा जगे, तो परेशानी होगी. नींद पूरी लेना जरूरी है. पूरी नींद लेते हैं, तो सुबह नौ से दस बज जाते हैं, तब तक ऑफिस जाने का समय हो जाता है. ऐसे में रोज की एक्सरसाइज छूट जाती है. एक्सरसाइज छूटी, तो पेट निकलने का खतरा और एक्सरसाइज करता है, तो ऑफिस समय से नहीं पहुंच पायेगा. इसी कसमकश में पिछले छह माह से राजेश की एक्सरसाइज छूट रही है, जिसका असर उसके शरीर पर दिखने लगा है, जो देखता है. कहता है, पहले से आप मोटे हो गये हैं. ये सुनते ही राजेश की परेशानी और बढ़ जाती है.
नोटबंदी के बाद कंपनी के परफारमेंस को लेकर चिंता अलग से, नगदी की परेशानी अब धीरे-धीरे दूर हो रही है, लेकिन पहले तो जुगाड़ और चिंता में ही दिन गुजरता था. किस देश से सामान आना है और कहां जाना है. इसकी ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग दोनों की चिंता राजेश के जिम्मे ही है. ऐसे में वो घर के सदस्यों को कम समय दे पाता है. माता-पिता को लगता है कि बेटा बड़ा अधिकारी हो गया है, लेकिन उनसे बात तक नहीं कर पाता. इसी के बारे में सबसे बात करके माता-पिता तो संतोष कर लेते हैं, लेकिन पत्नी और बच्चों को लगता है कि पापा उन्हें समय नहीं दे पाते हैं. पत्नी को लगता है कि ड्यूटी के बाद समय पर घर नहीं आना, राजेश का बहाना है. वो कहीं किसी और समय देते हैं. इसको लेकर अलग से टशन चलती रहती है. राजेश की पत्नी ने शादी के साल ही परिवार के साथ वैष्णों देवी जाने की मन्नत मांगी थी, लेकिन 14 साल बीत गये, नहीं जा सके. जब भी प्लान बनाते हैं, तो कोई न कोई अर्जेट काम आ जाता है. मां के धाम की यात्र कैंसिंल हो जाती है, तब परिवार में यही होता है कि मां का बुलावा नहीं आया है, इस वजह से यात्र रोकनी पड़ी.
पहले राजेश बच्चों के पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में चले जाते थे, लेकिन पिछले तीन साल से उसमें भी नहीं जा सके हैं. हाल में ही बच्चे के स्कूल के प्रिंसपल ने बुलाया था. बताया था कि बेटा कैसे पढ़ने से बच रहा है. बहाना करता है. स्कूल भी कम आता है. घर पर ध्यान देने की ताकीद कर रहे थे. कह रहे थे कि जब तक आप ध्यान नहीं देंगे. बेटा पढ़ेगा नहीं, चाहे कितने भी ट्यूशन लगवा दीजिये. प्रिंसपल के सामने बेटे को भला-बुरा कहके राजेश घर वापस आया, तो पत्नी पर गुस्सा दिखाने लगा, लेकिन पत्नी ने टका सा उत्तर दिया. हम क्या कर सकते हैं, आपका बेटा बड़ा हो गया है. अब मेरा कहना नहीं मानता है. आपसे तो बार-बार कह रहे हैं, ध्यान दीजिये, लेकिन आपको ऑफिस के काम से फुर्सत मिलेगी, तब ना आप किसी पर ध्यान दीजियेगा. आप तो केवल घर सोने के लिए आते हैं, क्या संडे, क्या मंडे. हर दिन काम. जारी..
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