अगर मन में विश्वास हो और काम करने का हौसला हो, तो मुश्किलें भी रास्ता छोड़ देती हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है पटना के युवा रिषेकेश कुमार सिंह के साथ, जो कम उम्र में ही समाज सेवा में लग गये हैं. ज्ञानशाला के नाम से ऐसे बच्चों का स्कूल चलाते हैं, जिनका कोई सहारा नहीं है. साथ ही रोटी बैंक, जिसके सहारे हर रात राजधानी पटना की सड़कों पर उतरते हैं और उन लोगों को भोजन पहुंचाते हैं, जिन्हें रिषिकेश और उनकी टीम खाना नहीं पहुंचाये, तो उन्हें भूखे ही रात काटनी पड़े. ये सिलसिला लगभग दो साल से ज्यादा से बदस्तूर जारी है.
रिषिकेश लोगों के बीच जाते हैं और उन्हें अपने अभियान के बारे में बताते हैं, तो लोग खुशी-खुशी उससे जुड़ जाते हैं. कुछ लोग ऐसे हैं, जो नियमित रिषिकेश की मदद करते हैं. घर में खाना बनवाते हैं और उन्हें देते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं, जो पैसे देकर होटल से खाना पैक करवा कर रिषिकेश को देते हैं, जबकि कई ऐसे लोग हैं, जो अपने जन्मदिन या किसी परिजन के जन्मदिन पर रोटी बैंक को खाना देते हैं. ऐसे लोग भी हैं, जो अपने पूर्वजों की की जयंती और पुण्यतिथि पर भूखों का खाना खिलाते हैं. रिषिकेश को जैसे ही फोन आता है, वो और उनकी टीम खाना कलेक्ट करने पहुंच जाते हैं. पटना के मोस्ट वीआईपी इलाके गांधी मैदान और इसके आसपास के इलाके में जाते हैं, जहां ऐसे लोगों की खोज करते हैं, जो बेसहारा सड़क पर रात बिताते हैं. ऐसे लोगों को चिह्नित करने के बाद रिषिकेश और उनकी टीम उन्हें खाना देती है.
ठंडक हो या बारिश. गर्मी हो या तूफान...रिषिकेश और उनके साथियों का अभियान नहीं रुकता है. हाल में जब पटना में जल जमाव हुआ, तब भी पानी जमा होने के बाद भी रिषिकेश अपनी टीम के सदस्यों के साथ बेसहारा लोगों का पेट भरते रहे. बारिश के बीच निकलते और खुद की परवाह किये बिना ऐसे लोगों को खाना पहुंचाते. रिषिकेश के पास पटना के बेसहारा लोगों के बारे में पूरी जानकारी है. कौन और कहां रहता है. कैसे चलता है. उसके साथ किस तरह की समस्या है. वो सब रिषिकेश जानते हैं. ऐसे लोग रात के समय रिषिकेश का इंतजार करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है, कुछ भी हो जाये, उनके लिए खाना लानेवाला नहीं रुकेगा. वो उनके लिए खाना लेकर किसी भी हालत में पहुंचेगा.
रिषिकेश लोगों के बीच जाते हैं और उन्हें अपने अभियान के बारे में बताते हैं, तो लोग खुशी-खुशी उससे जुड़ जाते हैं. कुछ लोग ऐसे हैं, जो नियमित रिषिकेश की मदद करते हैं. घर में खाना बनवाते हैं और उन्हें देते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं, जो पैसे देकर होटल से खाना पैक करवा कर रिषिकेश को देते हैं, जबकि कई ऐसे लोग हैं, जो अपने जन्मदिन या किसी परिजन के जन्मदिन पर रोटी बैंक को खाना देते हैं. ऐसे लोग भी हैं, जो अपने पूर्वजों की की जयंती और पुण्यतिथि पर भूखों का खाना खिलाते हैं. रिषिकेश को जैसे ही फोन आता है, वो और उनकी टीम खाना कलेक्ट करने पहुंच जाते हैं. पटना के मोस्ट वीआईपी इलाके गांधी मैदान और इसके आसपास के इलाके में जाते हैं, जहां ऐसे लोगों की खोज करते हैं, जो बेसहारा सड़क पर रात बिताते हैं. ऐसे लोगों को चिह्नित करने के बाद रिषिकेश और उनकी टीम उन्हें खाना देती है.
ठंडक हो या बारिश. गर्मी हो या तूफान...रिषिकेश और उनके साथियों का अभियान नहीं रुकता है. हाल में जब पटना में जल जमाव हुआ, तब भी पानी जमा होने के बाद भी रिषिकेश अपनी टीम के सदस्यों के साथ बेसहारा लोगों का पेट भरते रहे. बारिश के बीच निकलते और खुद की परवाह किये बिना ऐसे लोगों को खाना पहुंचाते. रिषिकेश के पास पटना के बेसहारा लोगों के बारे में पूरी जानकारी है. कौन और कहां रहता है. कैसे चलता है. उसके साथ किस तरह की समस्या है. वो सब रिषिकेश जानते हैं. ऐसे लोग रात के समय रिषिकेश का इंतजार करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है, कुछ भी हो जाये, उनके लिए खाना लानेवाला नहीं रुकेगा. वो उनके लिए खाना लेकर किसी भी हालत में पहुंचेगा.