शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

केबीसी विनर सुशील बनेंगे शिक्षक!

केबीसी-पांच में पांच करोड़ का जैकपॉट जीत कर देश ही नहीं दुनिया में नाम करनेवाले सुशील कुमार ऐसे संवेदनशील इंसान हैं, जो दूसरे के दर्द को नहीं देख सकते. वह बिना बताये कितने लोगों की मदद करते रहते हैं. इसका अंदाजा शायद हम और आप नहीं लगा सकते हैं. इसके बारे में वह ज्यादा बात भी नहीं करना चाहते, जब कोई बात होती है, तो अपनी तारीफ पर वह चुप्पी साध लेते हैं और फिर बात बदल देते हैं. इससे वह कैसे इंसान हैं, इसका अंदाजा लग जाता है. सुशील भाई को टीइटी में सफलता मिली है. इसकी बधाई संबंधी पोस्ट मैं सुबह ही सोशल मीडिया पर लिख चुका हूं, लेकिन मुङो लगा कि उनकी इस सफलता पर इससे इतर भी कुछ लिखना चाहिये, क्योंकि वह जिस तरह से इंसान हैं. वैसा होना साधरण बात नहीं है. कहा जाता है कि साधरण बने रहना बहुत मुश्किल है, लेकिन सुशील भाई ने साधरण को साध रखा है. वह लगातार साधारण बने हुये हैं.
टीइटी में सफलता पर उन्हें चारों ओर से बधाई मिल रही है. ज्यादातर लोग उनसे शिक्षक बनने की बात कह रहे हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सुशील भाई ने अभी तक तय नहीं किया है कि वह नौकरी ज्वाइन करेंगे या नहीं, लेकिन मुङो लगता है कि लोगों के आग्रह पर वह जरूर विचार कर रहे होंगे और कोई बेहतर फैसला लेंगे.
मेरा जब भी मोतिहारी जाना होता है. अक्सर सुशील भाई से मुलाकात होती है. इस दौरान वह जिस आत्मीयता से मिलते हैं और बात करते हैं. वह अपने आप में अलग होती है. कुछ माह पहले मैं एक बैठक के सिलसिले में मोतिहारी गया था, तब उनसे मुलाकात हुई थी. काफी देर तक बातें होती रहीं. हम चाहते थे वह हमारे साथ थोड़ी देर और रहें, लेकिन उन्होंने विनम्र अनुरोध किया कि हमें जाना है. कुछ जरूरी काम है. मैंने पूछा, तो कहने लगे कि पत्नी ने कहा है, इसलिए मैंने टीइटी परीक्षा देने का फैसला लिया है. उसी की तैयारी कर रहा हूं. अब परीक्षा देना है, तो पढ़ना होगा. उन्होंने जिस सलीके से यह बात कही, मैं उन्हें रोक नहीं सका. उसके बाद दो बार और मुलाकात हुई. एक दिन मैं उनकी सितार क्लास में भी गया था, उनके गुरु के घर जहां, वह सीखते हैं. वह बेहतर सितार बजाने की चाहत भी रखते हैं. हालांकि मेरे हिसाब से वह अभी भी बेहतर प्रस्तुति देने लगे हैं.
सामाजिक बदलाव के लिए तो वह लगातार काम करते रहते हैं, जहां भी जरूरत होती है. वहां मौजूद रहते हैं. हाल में बाढ़ आयी, तो प्रभावितों की मदद में वह आगे आये. खुद प्रभावित इलाके में जाकर लोगों की मदद की. ऐसे कितने ही उदाहरण हैं, जिन्हें गिनाने में लंबा समय लगेगा. हां, एक बात और. सुशील कुमार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के एक सौ से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठा रखा है, जिनकी पढ़ाई का पूरा इंतजाम वह कर रहे हैं. 

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