कौन बनेगा करोड़पति में पांच करोड़ जीतनेवाले सुशील कुमार को आप देखेंगे, तो प्रभावित हुये बिना नहीं रह पायेंगे. 2011 में केबीसी जीतने के बाद और अब के सुशील में आपको ज्यादा फर्क महसूस नहीं होगा. वो पहले से ज्यादा सरल हो गये हैं. बड़ी गर्मजोशी के साथ मिलते हैं. केबीसी में जीतने के बाद रातोंरात देश-दुनिया में नाम कमानेवाले सुशील लगातार अपने मिशन पर काम कर रहे हैं. वो जो काम करते हैं, उसके बारे में ज्यादा लोगों को नहीं बताते हैं, लेकिन लगातार उनका काम चलता रहता है. उनके सामाजिक कामों में एक काम यह भी है कि वो मुशहर समाज के एक सौ से ज्यादा बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने बाकायदा शिक्षक रख रखा है. खुद लगातार बच्चों की प्रगति पर नजर रखते हैं.
यह समाज के उस अंतिम पायदान के बच्चे हैं, जहां सरकारी शिक्षा की रोशनी भी नहीं पहुंची है, लेकिन सुशील के प्रयास से इन बच्चों को न सिर्फ अक्षर ज्ञान हुआ है, बल्कि बच्चे फर्राटे से पढ़ने लगे हैं और बेहतर भविष्य का सपना भी देख रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने के अलावा समाज की बेहतरी के लिए कई और काम सुशील कर रहे हैं, लेकिन उनके बारे में ज्यादा शोर नहीं करते हैं कि जब समानता की बात होती है, तो सबको शिक्षा का अधिकार है, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाता है. समाज में एक तबका ऐसा भी है, जहां बच्चे बड़े होने के साथ काम में लगा दिये जाते हैं. वो मजदूरी आदि करके घर को चलाने में सहयोग करने लगते हैं. कई जगहों पर पढ़ाई का माहौल नहीं होने की वजह से भी बच्चे पढ़ने नहीं जाते हैं.
हाल में सुशील जी से मिलना हुआ, तो भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा हुई, तो कहने लगे कि एक और बस्ती के बच्चों को हम पढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए काम कर रहे हैं. साथ ही वह मुंबई में रह कर भी काम कर रहे हैं. उनकी भावी योजनाओं में कई चीजें हैं, जिनका खुलासा वो नहीं करते हैं, लेकिन कहते हैं कि जब कुछ हो जायेगा, तो बताना ज्यादा अच्छा रहेगा. अभी हम केवल तैयारी में जुटे हैं.
यह समाज के उस अंतिम पायदान के बच्चे हैं, जहां सरकारी शिक्षा की रोशनी भी नहीं पहुंची है, लेकिन सुशील के प्रयास से इन बच्चों को न सिर्फ अक्षर ज्ञान हुआ है, बल्कि बच्चे फर्राटे से पढ़ने लगे हैं और बेहतर भविष्य का सपना भी देख रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने के अलावा समाज की बेहतरी के लिए कई और काम सुशील कर रहे हैं, लेकिन उनके बारे में ज्यादा शोर नहीं करते हैं कि जब समानता की बात होती है, तो सबको शिक्षा का अधिकार है, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाता है. समाज में एक तबका ऐसा भी है, जहां बच्चे बड़े होने के साथ काम में लगा दिये जाते हैं. वो मजदूरी आदि करके घर को चलाने में सहयोग करने लगते हैं. कई जगहों पर पढ़ाई का माहौल नहीं होने की वजह से भी बच्चे पढ़ने नहीं जाते हैं.
हाल में सुशील जी से मिलना हुआ, तो भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा हुई, तो कहने लगे कि एक और बस्ती के बच्चों को हम पढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए काम कर रहे हैं. साथ ही वह मुंबई में रह कर भी काम कर रहे हैं. उनकी भावी योजनाओं में कई चीजें हैं, जिनका खुलासा वो नहीं करते हैं, लेकिन कहते हैं कि जब कुछ हो जायेगा, तो बताना ज्यादा अच्छा रहेगा. अभी हम केवल तैयारी में जुटे हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें