बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

इस बार फिर चौकायेगा उत्तर प्रदेश ?

यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की धूम है. प्रचार चरम पर है. पहले चरण का चुनाव चार फरवरी को होना है, जिसके लिए दो फरवरी को चुनाव प्रचार बंद हो जायेगा. इससे पहले लंबे राजनीतिक ड्रामे से गुजरे यूपी के वोटर इस बार क्या करेंगे, ये सवाल सबके जेहन में घूम रहा है. प्रदेश में घूम-घूम कर सव्रेक्षण कर रहे विभिन्न मीडिया हाउस अलग-अलग तरह की हवा बना रहे हैं. कोई भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बना रहा है, तो कोई अखिलेश की फिर से ताजपोशी कर रहा है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि वोटर का मत क्या इस मीडिया हाउस के सव्रेक्षणों से मेल खाता है या फिर नहीं, क्योंकि इससे पहले 2007 व 2012 के यूपी चुनावों में ऐसे सव्रेक्षण करनेवालों को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी थी. इस बार जो हालात दिख रहे हैं, वो तो कुछ और कहानी कह रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि जमीनी हकीकत को हम देखना नहीं चाहते हैं.
गठबंधन के शोर में भले ही किसी की आवाज कम सुनायी दे रही हो, लेकिन वोटर सब देख रहे हैं और उन्हें किधर जाना है. शायद उन्होंने मन बना लिया है और वो उस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सव्रेक्षण करनेवालों के सामने ये हकीकत नहीं है. साल से कुछ ज्यादा पहले बिहार चुनाव हुये थे. उस दौरान किस तरह का शोर था, लेकिन नतीजे कैसे आये, ये सबको पता है. यही नहीं मतगणनावाले दिन किस तरह से भाजपा के लोगों ने सुबह जश्न मनाना शुरू कर दिया था, लेकिन चंद मिनट में ही इनके पांवों की थिरकन रुक गयी थी, जो दावे कर रहे थे, उनके मुंह पर सील लग गयी और वह छुपते फिरने लगे.
अगर राजनीतिक हालात की बात करें, तो यूपी-बिहार बहुत ज्यादा अलग नहीं हैं. हां, वोटरों की संख्या के आधार पर भले ही कुछ भेद-विभेद किया जा सकता है, लेकिन ताशीर एक जैसी ही है. अब ऐसे में चुनाव बहुत रोचक बन गया है.

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