बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

गंगेया के लोगों ने बागमती पर खुद बना लिया पीपा पुल

लगभग साल भर पहले गंगेया जाना हुआ था, तब बांस के पुल था, जिससे गुजरते समय अच्छे-अच्छे लोग हनुमान चलीसा का पाठ करने लग रहे थे. हम भी उन्हीं में शामिल थे. उस समय गांव में एक कार्यक्रम था. मुंबई से अभिभावक समान अनुराग चतुव्रेदी सर आये थे. उन्हीं के साथ गांव देखने का मौका मिला. आधा गांव बागमती इस पार और आधा, उस पार. बड़ी विकट स्थिति में रह रहे थे गांववाले.
चर्चा चली, तो वहां के लोगों ने बताया कि वर्तमान सांसद से लेकर अधिकारियों व विधायकों से हम लोगों ने कई बार गुहार लगायी, लेकिन आश्वासन ही देते रहे हैं. बाढ़ के समय पुल बह जाता है, तो गांव के लोगों की परेशानियां और बढ़ जाती हैं. गंगेया के लोग किस स्थिति भयावह हालत में रह रहे थे. ये वहां जाने के बाद ही महसूस होता है. बांस के चचरी पुल को पार करना किसी बड़ी जंग को जीतने जैसा लगता था. ऐसे में सोच सकते हैं, जो ग्रामीण रोज कई बार इस पुल से आते-जाते होंगे, उनका क्या होता होगा, जब हम पुल पार कर रहे थे, उसी दौरान एक मां अपने बच्चे के साथ जा रही थी, जो खुद से ज्यादा बच्चे को लेकर परेशान थी, क्योंकि बच्च छोटा था और मां के हाथ में राशन का झोला था, जिससे वह बच्चे को उठा नहीं सकती थी. ऐसे में वह लोगों से मिन्नतें कर रही थी कि किसी तरह उसके बच्चे को पार करवा दें.
खैर, गंगेया गांव के वापस आया, तो कई दिन तक वहां खास कर पुल से गुजरने की स्मृति कौंधती रही. लगा कि जब इतनी परेशानी है, तो इसका समाधान क्यों नहीं होता. कई लोगों से बात की, लेकिन किसी ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. इसी बीच गंगेया के रहनेवाले क्रांति प्रकाश जी का न्योता मिला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1977 के चुनाव में हरानेवाले राजनारायण की जयंती मना रहे थे. मुलाकात हुई, तो गांव के चचरी पुल की चर्चा की. कहने लगे, जल्दी ही दुख दूर होनेवाला है. गांव के लोग ही आपस में मिल कर पीपा पुल बना रहे हैं. इसके लिए बैठक हो चुकी है और कुछ लाख रुपये भी एकत्र हो चुके हैं. सुन कर बड़ा सुकून मिला.
बीती 24 जनवरी को जानकारी मिली कि पुल तैयार है और लोगों का आवागमन शुरू हो गया है. गांव के लोगों ने 12 लाख रुपये इकट्ठा करके पुल का निर्माण कराया है, जब पुल से गुजरते लोगों की तस्वीरें देखीं, तो काफी सुकून मिला. अब गंगेया के लोगों को हिचकोले नहीं खाने होंगे. साथ ही गांव में आनेवाले लोगों को पहले जैसी त्रसदी नहीं ङोलनी पड़ेगी. गंगेया के लोगों को इस साहसपूर्ण काम के लिए बहुत बधाई!

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