बुधवार, 2 नवंबर 2016

क्या बात है, मुजफ्फरपुर में 7डी थियेटर!

आधुनिक सुख-सुविधाओं पर अपना ज्यादा विश्वास नहीं है, लेकिन जब बात होती है, तो जानने समझने की कोशिश जरूर करता हूं. पिछले छह साल से मैं दो बार ही सिनेमा हाल में गया हूं. वह भी एक बार पूरा सिनेमा देखा था, दूसरी बार बीच में वापस चला आया. सिनेमा हाल के मामले में कभी मुजफ्फरपुर का नाम हुआ करता था. इसे प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर प्रचारित किया जाता है. यहां कई सिनेमा हाल थे, जो अब भी देखने को मिल जाते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर बंद हो चुके हैं. गिने-चुने हाल ही चालू हालत में हैं.
एक-दो सिनेमा हाल के बारे में बताते हैं कि हाल के महीनों में उनकी व्यवस्था ठीक हुई है, लेकिन कभी जाने का मौका नहीं मिला, न ही मन हुआ, लेकिन दो नवंबर को शाम के समय सड़क पर टहल रहा था. उसी दौरान एक बिल्डिंग के कुछ बच्चे 7डी थियेटर की बात कर रहे थे. कह रहे थे कि अपने शहर में नया सिनेमा हाल खुल गया है, जिसमें पिक्चर देखने का अनुभव बिल्कुल अलग है. बच्चे आपस में चर्चा कर रहे थे कि उनके परचित लोग वहां गये थे. वह सिनेमा देख कर आये हैं. हाल के अंदर उन्हें कई तरह के अनुभव हुये.
जैसे अगर पानी बरस रहा है, तो लगता है कि सिनेमा देखनेवाला भी भीग रहा है. अगर स्क्रीन पर सांप चल रहा है, तो लगेगा कि सांप आपके पास से होकर गुजर रहा है. अगर स्क्रीन पर बर्फ गिर रही है, तो आपको इस बात का एहसास होगा कि आप बर्फबारी के बीच में बैठे हुये हैं. ये बिल्कुल नये तरह के अनुभव के बारे में बच्चे बात कर रहे थे, तो मैं भी उनकी बातों का सुनने लगा. उनमें कुछ बच्चे कह रहे थे कि मैं भी हाल में पिक्चर देखने जाऊंगा. मैंने अपने पापा को इसके बारे में बताया है. वो हम लोगों को वहां ले जाने के लिए तैयार हैं.
7डी थियेटर क्या होता है? इससे अभी तक मैं भी अनजान हूं. सही कहूं, तो मुङो तो ये भी पता नहीं चल पाया था कि शहर में 7डी थियेटर खुल गया है. हां, ये जरूर सुनता था कि द ग्रैंड माल में जल्दी ही थियेटर खुलनेवाला है. दो बार वहां जाना हुआ, तो नोएडा, गाजियाबाद व दिल्ली के मालों की याद आयी. बस फूड कोर्ट व थियेटर की कमी खल रही थी. अगर थियेटर चालू हो गया है. वह भी 7डी, तो अच्छा है. मैं भी कोशिश करूंगा कि वहां जाकर सिनेमा देखूं, क्योंकि ये मेरे लिये भी नया अनुभव होगा.

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