बुधवार, 3 जून 2020

जीवन में आनंद तब तक रहता है, जब तक हम उसे भोगने की स्थिति में रहते हैं

सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं.!
काफी दिनों तक दुनिया में भटकने के पश्चात आखिरकार उस ने वह जगह पा ही ली, जहां उसे अमृत की प्राप्ति हो। उसके सामने ही अमृत जल बह रहा था, वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था कि तभी एक बुढा व्यक्ति जो उस गुफा के भीतर बैठा था, जोर से बोला, रुक जा, यह भूल मत करना...!’
बड़ी दुर्गति की अवस्था में था वह बूढा ! सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन...?’
बूढे ने उत्तर दिया, ..मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गई थी !, मैंने यह अमृत पी लिया !
अब मैं मर नहीं सकता, पर मैं अब मरना चाहता हूँ... ! देख लो मेरी हालत...अंधा हो गया हूँ, पैर गल गए हैं, देखो...अब मैं चिल्ला रहा हूं...चीख रहा हूं...कि कोई मुझे मार डाले, लेकिन मुझे मारा भी नहीं जा सकता !
अब प्रार्थना कर रहा हूं, परमात्मा से कि प्रभु मुझे मौत दे !
सिकंदर चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया, बिना अमृत पिए !
सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनंद, उस समय तक ही रहता है, जब तक हम उसे भोगने की स्थिति में होते हैं! इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा कीजिये ! जितना जीवन मिला है,उस जीवन का भरपूर आनंद लीजिये ! हमेशा खुश रहिये। दुनिया में सिकंदर कोई नहीं, वक्त ही सिकंदर है।

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