बुधवार, 3 जून 2020

ज़िन्दगी के सफ़र में कौन भला साथ निभाता है

ज़िन्दगी के सफ़र में कौन भला साथ निभाता है
कल तुम भी चले जाओगे साथ छोड़ कर
पर रह जाओगे थोड़ा-थोड़ा मेरी यादों में
एल्बम की तस्वीरों में
उड़ते पंक्षियों की उड़ानों में
खिलते फूलों की मुस्कुराहट में

ज़िन्दगी के सफ़र में तुमसे बिछड़ना नियति है
लेकिन रह जाओगे तुम मेरी सांसों में
सुने-अनसुने गीतों की धुन में
रुनझुन करती बारिश की बूंदों में
मंदिर मस्जिद से आती पाक आवाज़ों में
हाथ की आड़ी-तिरछी रेखाओं में
माना ज़िन्दगी है बेबस, उसके अख्तियार में कुछ नहीं है,
लेकिन तेरे मेरे प्यार की उम्र ज़िन्दगी से परे है, खूबसूरत है...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें