गुरुवार, 24 अगस्त 2017

मादापुर में चलती है जेपी की ग्रामसभा

चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में गांव- ग्रामसभाओं को और सशक्त बनाने पर बात हो रही है. ऐसे में गांधी जी के सपने को मादापुर की ग्रामसभा साकार कर रही है. इसकी स्थापना लोकनायक जय प्रकाश नारायण (जेपी) ने अस्सी के दशक में की थी, जब वो नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत मुजफ्फरपुर प्रवास पर आये थे. मुशहरी अंचल के विभिन्न गांव में रहते हुये जेपी ने छह और ग्रामसभाएं स्थापित की थीं. अगर बिहार की बात करें, तो ऐसी कुल 52 ग्रामसभाओं की स्थापना लोकनायक की ओर से की गयी थीं. अन्य ग्रामस्पभाओं ने काम करना बंद कर दिया, लेकिन मादापुर में लगातार काम हो रहा है. यह ग्रामसभा पंचायती ग्राम व्यवस्था से अलग काम करते हुये मादापुर के लोगों को सस्ते दर पर सामान उपलब्ध करा रही है. जनकल्याण के काम कर रही है.
मुजफ्फरपुर से सरैया रोड पर मादापुर गांव छह किलोमीटर दूर है. पांच किलोमीटर मुख्य सड़क पर और एक किलोमीटर संपर्क पथ पर चलना पड़ता है. गांव तक अच्छी सड़क है. गांव में पक्के और साफ सुथरे मकान दिखते हैं, जो यहां के संपन्न होने का संकेत देते हैं. कुछ ही दूर आगे जाने पर बड़ा तालाब है, जो ग्रामसभा का है. इससे सटा हुआ मंदिर भी है. ग्रामसभा की तीन बार से अध्यक्ष  बन रहीं बंदना शर्मा कहती हैं कि मुख्यत: तालाब की आय से हमारी ग्रामसभा चलती है. तालाब के एक ओर बंदना शर्मा का घर है, तो दूसरी ओर कोषाध्यक्ष उमेश पांडेय का मकान. उमेश पांडेय टेलीफोन विभाग के कर्मचारी रहे हैं.
उमेश पांडेय के दरवाजे पर बड़ी दलान है. इससे जुड़े कमरे में ग्रामसभा का सामान है. इनके पास कड़ाही, भगोना, दरी, जाजिम. पंखा से लेकर शामियाना और 150 कुर्सियां भी हैं. दरी का किराया दस रुपये हैं, तो शामियाना सौ रुपये में मिलता है. मासांहारी खाने का सेट अलग है. ग्रामसभा का अपना बैंक एकाउंट है, जिसमें बर्तनों के किराये व तालाब में मछली पालन से मिलनेवाला पैसा जमा किया जाता है. इसका बैलेंस लाखों में है. गर्व से यह बात कोषाध्यक्ष उमेश पांडेय बताते हैं.
ग्रामसभा से जुड़े लोग कहते हैं कि समझदारी से ही हम लोग इसको चला रहे हैं, नहीं तो पूरे प्रदेश में दूसरी ग्रामसभा नहीं चल रही है. यह पूछने पर गांव के मुखिया और सरपंच का विरोध नहीं होता है, तो यह लोग बोल पड़ते हैं. हम उनके सहयोग के लिए हैं, विरोध के लिए नहीं. 2001 में पंचायत चुनाव से पहले हमारी ग्रामसभा को सरकारी मदद भी मिलती थी और भी अधिकार थे, लेकिन चुनाव के बाद हमारे अधिकार समाप्त कर दिये गये, जिसके लिए हाइकोर्ट में केस चल रहा है. ग्रामसभा के मंत्री पीर मोहम्मद हैं, जो सिंचाई विभाग में काम करते थे. रिटायर होने के बाद गांव में रहने लगे. पीर मोहम्मद कहते हैं कि यह अलग चीज है. इससे लोगों को फायदा है.
जेपी की ओर से स्थापित ग्रामसभा के पास पंचायतों जैसे संवैधानिक अधिकार नहीं है, लेकिन यह काम के बल पर अपनी पहचान बनाये हुये है. मादापुर गांव की मुख्य सड़क दो साल में ही टूट गयी है. इसको लेकर ग्रामसभा के सदस्यों में आक्रोश है. इनका कहना है कि हम लोगों ने निर्माण के समय ही इसका काम रुकवा दिया था. शिक्षक रहे नागेश्वर बैठा कहते हैं कि शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. यह केवल मेरे गांव की बात नहीं है. पूरे प्रदेश की यही हालत है.
ग्रामसभा की अध्यक्ष बंदना शर्मा व कोषाध्यक्ष उमेश पांडेय गांव दिखाते हैं. कहते हैं कि ग्रामसभा केवल किराये पर ही देने का काम नहीं करती है. गांव के लोगों की मदद भी करते हैं. अगर कोई बीमार होता है या फिर कोई अन्य जरूरत पड़ती है, तब भी हम आर्थिक मदद देते हैं. समय-समय पर होनेवाली ग्रामसभा में पंचायत के चुने हुये प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं, जो ग्रामसभा के फैसलों को लागू कराने में मदद करते हैं.
दो साल पर होनेवाला ग्रामसभा का चुनाव हाथ उठा कर होता है. इसके लिए राज्य स्तर से भूदान कमेटी के सदस्य पर्यवेक्षक के तौर पर आते हैं. बैठक में सदस्यों का नाम पुकारा जाता है, सब लोग हाथ उठाते हैं, तो उसे शामिल कर लिया जाता है. अगर हाथ नहीं उठते हैं, तो फिर उस पर विचार नहीं किया जाता है. कोषाध्यक्ष उमेश पांडेय कहते हैं कि गांव में होनेवाली छोटी घटनाओं को हम लोग ग्रामसभा के जरिये ही सुलझा लेते हैं, जब भी कोई घटना होती है, तो हम लोग बैठते हैं और फैसला करते हैं, जिसे सब लोग मानते हैं. अगर किसी मामले में गांव में पुलिस आ भी जाती है, तो वह हम लोगों से संपर्क करती है. हमारी कोशिश होती है कि गांव का मामला आपसी सहमति से ही सुलझ जाये. 2009 से गांव का मामला  दर्ज नहीं हुआ है.
स्किल डेवलपमेंट की चर्चा अभी जोरों पर है, लेकिन मादापुर गांव में ग्रासभा की ओर से इसका प्रयोग लगभग दस साल पहले किया गया था, जब ग्रामीणों को आर्थिक मदद दी गयी थी और उन्हें अपनी पसंद का काम करने की छूट दी गयी थी, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें, लेकिन यह प्रयोग पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था.

1 टिप्पणी:

  1. बेहद शानदार और अनुकरणीय भाई साहब। ऐसी प्रेरणादायक कहानियां शेयर करते रहिए।

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